• रागी जत्थों ने अपनी वाणी से गुरू की महिमा का बखान किया
  • मात्र पांच साल की उम्र में ही मिली गुरू की उपाधि : बलविंद्र सिंह

आज समाज नेटवर्क जींद:

Prakash Utsav Shraddha of Guru Harkrishna Sahib: आठवीं पातशाही एवं बाला प्रीतम गुरु हरकृष्ण साहिब का प्रकाशोत्सव स्थानीय ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में श्रद्धा एवं धूमधाम से मनाया गया। प्रकाशोत्सव के उपलक्ष में गुरुद्वारा साहिब में धार्मिक दीवान सजाया गया। जिसमें बाहर से ढाढी जत्थों, धर्म प्रचारकों व रागी जत्थों ने गुरु हरकृष्ण साहिब के जीवन से संबंधित प्रसंगों को सुना कर संगतों को निहाल किया गया।

परोपकारी कार्य करते समय हमें भेदभाव नही करना

गुरुघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि दीवान के आरंभ में गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई जसबीर सिंह रमदसिया, भाई कर्मजीत सिंह, भाई मनप्रीत सिंह के रागी जत्थे द्वारा गुरबाणी शब्द गायन किए गए हैं। गुरुद्वारा साहिब के हैडग्रंथी एवं प्रसिद्ध कथावाचक ज्ञानी गुरविंदर सिंह रत्तक ने अपने प्रवचनों में गुरु साहिब की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी तरह का परोपकारी कार्य करते समय हमें ऊंच-नीच का भेदभाव नही करना चाहिए।

मानवता की सेवा की मिसाल कायम

उन्होंने बताया कि आध्यात्मिक दृष्टि से गुरु को रूप की संज्ञा दी गई है ना कि शरीर की। गुरुजी ने अपना सारा जीवन दूसरों की सेवा में लगा कर मानवता की सेवा की मिसाल कायम की। इसके बाद धर्म प्रचार कमेटी से आए भाई जसबीर सिंह के ढाढी जत्थे ने अपनी ढाढी के वारों में गुरु हरकृष्ण साहिब की जीवनी को पिरोकर संगतों को सुना कर निहाल कर दिया। धार्मिक दीवान के अंत में गुरुद्वारा छठी एवं नौंवी पातशाही गुहला चीका से आए भाई गुरप्रीत सिंह के रागी जत्थे ने निरोल गुरबाणी कीर्तन गायन करके संगतों का मन मोह लिया। दीवान की समाप्ति पर गुरु का अटूट लंगर संगतों में बरताया गया।

पांच साल की उम्र में ही मिली गुरू की उपाधि

गुरूघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने गुरू हर कृष्ण साहिब की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरू जी का जन्म कीरतपुर साहिब में सातवें गुरू गुरू हरराय जी के घर हुआ था। छोटी उम्र में उनकी आध्यात्मिक विशेषताओं को देखते हुए गुरु हरराय ने पांच वर्ष की आयु में गुरु हर कृष्ण साहिब को गुरू की उपाधि प्रदान की। इस तरह गुरू हरकृष्ण सिख गुरुओं में सबसे छोटी उम्र के गुरू बने। अपने दिल्ली प्रवास के दौरान गुरू हरकृष्ण साहिब ने आध्यात्मिक योग द्वारा हजारों दीन व दुखियों की सेवा करके उन्हें दुख मुक्त किया।

चेचक जैसा गंभीर रोग फैल गया Prakash Utsav Shraddha of Guru Harkrishna Sahib

उनके समय में दिल्ली में चेचक जैसा गंभीर रोग फैल गया तथा गुरू हरकृष्ण साहिब चेचक के रोगियों की सेवा करते हुए खुद चेचक रोग का शिकार हो गए। उनकी याद में नई दिल्ली में सिख संगतों द्वारा गुरुद्वारा बंगला साहिब का निर्माण करवाया गया। जहां आज भी सभी समुदायों के हजारों लोग प्रतिदिन अपनी मन्नतें मांगने व मन्नत पूरी होने पर श्रद्धापूर्वक शीश झुकाते हैं।

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