जानें व्रत के नियम और पूजा विधि
Pradosh vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: पुराणों में प्रदोष व्रत का बहुत महात्म्य बताया गया है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप कट जाते हैं। प्रदोष व्रत हर माह में आने वाली दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस प्रकार हर महीने दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है, जिसकी पूजा प्रदोष काल में करना का विधान है। यह व्रत शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है, जिसे स्त्री व पुरुष दोनों ही कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 सतंबर को प्रात: 4 बजकर 8 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 6 सितंबर को प्रात: 3 बजकर 12 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में प्रदोष व्रत शुक्रवार 5 सितंबर को किया जाएगा। शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष व्रत में पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा।

  • प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त – शाम 6 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर 55 मिनट तक।

शिव जी की पूजा विधि

  • शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान आदि कर लें।
  • मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें।
  • एक चौकी पर साफ-सुथरा लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और शिव जी व पार्वती जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • कच्चे दूध, गंगाजल, और शुद्ध जल से शिव जी का अभिषेक करें।
  • अब पूजा में महादेव को बेलपत्र, धतूरा और भांग आदि अर्पित करें।
  • भोग के रूप में खीर, फल, हलवा आदि अर्पित करें।
  • माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
    शिव चालीसा का पाठ करें।
  • दीपक जलाकर भगवान शिव व माता पार्वती की आरती व मत्रों का जप करें।
  • अंत में सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

शिव जी के मंत्र

  • ॐ नम: शिवाय
  • ॐ नमो भगवते रूद्राय
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
  • उवार्रुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
  • कर्पूरगौरं करुणावतारं
    संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
  • सदावसन्तं हृदयारविन्दे
    भवं भवानीसहितं नमामि ॥