पाकिस्तानी सरकार चार बड़े विदेशी बैंकों से 41 हजार करोड़ ऋण लेने की कोशिश में जुटी
Business News Today (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान पिछले लंबे समय से आर्थिक तंगहाली के दौर से गुजर रहा है। आंतरिक अशांति और भारत के साथ मतभेद उसकी मुश्किलों को और भी ज्यादा बढ़ा रहे हैं। पाकिस्तानी सरकार पिछले कई वर्षों से देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के प्रयास में जुटी है लेकिन उसकी कोशिशें लगातार नाकाम हो रही हैं।
यही कारण है कि पाकिस्तान ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने आर्थिक विकास का लक्ष्य 3.6% रखा था, लेकिन 2.68% की दर से ही विकास हो पाया। अब पाकिस्तान सरकार अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने और देश को प्रगति की तरफ ले जाने के लिए के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंकों से 4.9 बिलियन डॉलर (करीब 41,000 करोड़ रुपए) का कर्ज लेने की प्लानिंग कर रही है।
इन बैंकों से कर्ज लेने की पाकिस्तान की कोशिश
इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल बैंक आॅफ चाइना से 1.1 बिलियन डॉलर यानी, करीब 9.41 हजार करोड़ रुपए का लोन लेने का प्लान। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और दुबई इस्लामिक बैंक से 500 मिलियन डॉलर यानी, करीब 4 हजार करोड़ रुपए लोन लेने का प्लान है। एशियन डेवलपमेंट बैंक से भी 500 मिलियन डॉलर यानी, करीब 4 हजार करोड़ रुपए के लिए गारंटी मांगी जा रही है। ये कर्ज इसी महीने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) से 1.4 बिलियन डॉलर (करीब 12 हजार करोड़ रुपए) का कर्ज मंजूर होने के बाद लिया जा रहा है।
भारत ने पाकिस्तान को दी गई मदद पर उठाया था सवाल
भारत ने पाकिस्तान को आईएमएफ द्वज्ञरा मिली इन सहायताओं पर सवाल उठाया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता “आतंकवाद को अप्रत्यक्ष रूप से दिया जाने वाला वित्त पोषण” है। आईएमएफ ने बताया है कि उसके बोर्ड ने सितंबर 2024 में ईएफएफ को मंजूरी दे दी थी और पहलगाम हमले से एक महीने पहले मार्च 2025 में पहली प्रगति समीक्षा की गई। उस समीक्षा के पूरा होने के बाद 9 मई) उसे राशि दी गई। वहीं भारत ने आईएमएफ के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि पाकिस्तान को जब-जब भी आर्थिक सहायता मिली उसने उसका प्रयोग हथियार खरीदने के लिए किया और बाद में इन हथियारों का प्रयोग करके भारत में आतंकवाद फैलाने का काम किया।
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