कहा, हर बार आतंकी हमले के बाद मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना गलत

Delhi News (आज समाज), नई दिल्ली : जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद मदनी गुट) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। इस दौरान एक तरफ जहां उन्होंने कहा कि ऐसे हमले करने वाले आतंकवादी इस्लाम के सिद्धांतों से अनजान हैं वहीं उन्होंने एक विवादित बात कहते हुए कहा कि यह हमला सरकार की नफरत भरी नीतियों का परिणाम बताया। इस दौरान मदनी ने भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान का पानी रोकने के फैसले पर भी बयान दिया।

संवाददाता सम्मेलन में यह बोले मदनी

जमीयत की दो दिवसीय कार्यसमिति बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में मदनी ने सरकार के सिंधु जल संधि को खत्म करने के फैसले की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘चिनाब, रावी, झेलम, व्यास और सतलुज नदियां हजारों सालों से बह रही हैं। इस पानी को रोकना या कहीं और ले जाना आसान नहीं है। इसके साथ ही पाकिस्तान का नाम लिए बिना मदनी ने कहा कि सरकार को आतंकवाद को उसके स्रोत पर रोकना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे हमले न हों। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को सौ प्रतिशत यकीन है कि कश्मीर में सिर्फ हमलावरों के घर ढहाए गए तो यह कार्रवाई उचित है, लेकिन केवल संदेह के आधार पर ऐसी कार्रवाई गलत होगी।

वक्फ संशोधन अधिनियम सही नहीं

मदनी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को वक्फ संपत्तियों को हड़पने का प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कानून संपत्तियों की रक्षा नहीं, बल्कि उन्हें छीनने का काम करेगा। उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया और बताया कि जमीयत ने लाखों लोगों की भागीदारी के साथ तीन रैलियां आयोजित कीं, जो पूरी तरह शांतिपूर्ण रहीं। उन्होंने जोर दिया कि विरोध संवैधानिक अधिकारों के दायरे में होना चाहिए। मदनी ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराया, लेकिन कहा कि पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के बंगाली भाषी लोगों को इसकी आड़ में परेशान नहीं करना चाहिए। पाकिस्तान के साथ संभावित युद्ध पर उन्होंने कहा कि युद्ध कोई समाधान नहीं है, क्योंकि इसके गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे।

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