आज समाज, नई दिल्ली: Actress Jayalalithaa: आज हम बात कर रहे हैं उस अदाकारा की, जो ना सिर्फ साउथ सिनेमा की सबसे बड़ी सुपरस्टार रहीं, बल्कि बाद में राजनीति में भी ‘अम्मा’ बनकर छा गईं। जी हां, हम बात कर रहे हैं जयललिता की। जिनकी चमक-धमक वाली ज़िंदगी, संघर्ष और सत्ता की कहानी आज भी लोगों को चौंका देती है।

छोटी उम्र में पिता को खोया

24 फरवरी 1948 को कर्नाटक के मांड्या जिले में जन्मी जयललिता ने छोटी उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था। घर की जिम्मेदारी मां पर आ गई, जो खुद एक एक्ट्रेस थीं। मां चाहती थीं कि बेटी भी एक्टिंग की दुनिया में जाए – और यहीं से शुरू हुआ वो सफर, जिसने एक लड़की को साउथ सिनेमा की रानी बना दिया।

तमिल फिल्म से करियर की शुरुआत

जयललिता ने 1961 में तमिल फिल्म Epistle से करियर की शुरुआत की। 1968 में उन्होंने बॉलीवुड में भी एंट्री ली, फिल्म इज्जत में धर्मेंद्र के साथ काम किया। ये उनकी इकलौती फुल रोल वाली हिंदी फिल्म थी। उन्होंने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ मिलाकर 300 से भी ज्यादा फिल्में कीं, जिनमें नृत्य, अभिनय और स्टार पावर का परफेक्ट कॉम्बिनेशन देखने को मिला।

महंगी और सबसे डिमांडिंग एक्ट्रेस

जयललिता ने शिवाजी गणेशन, एन.टी. रामाराव, नागेश्वर राव और सबसे खास – एम.जी. रामचंद्रन (MGR) के साथ सुपरहिट जोड़ी बनाई। उनकी फिल्मों में ग्लैमर, क्लास और इमोशन – सबकुछ देखने को मिलता था। कहा जाता है कि वे उस दौर की सबसे महंगी और सबसे डिमांडिंग एक्ट्रेस थीं।

बेशुमार दौलत और 1997 का विवादित छापा

1997 में जयललिता के चेन्नई स्थित पोएस गार्डन बंगले पर छापा पड़ा, जिसने सबको चौंका दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके पास थे:

10,500 साड़ियां

750 जोड़ी जूते

91 ब्रांडेड घड़ियां

1250 किलो चांदी

28 किलो सोना

कई लग्जरी गाड़ियां

उनकी कुल संपत्ति का अनुमान उस समय 900 करोड़ रुपये से भी ज्यादा लगाया गया था! यह छापा उनके जीवन का सबसे बड़ा विवाद बना, लेकिन उनका करिश्मा जनता के बीच कभी नहीं घटा।

सुपरस्टार से मुख्यमंत्री तक का सफर

1980 में उन्होंने फिल्मों को अलविदा कहकर राजनीति में कदम रखा और AIADMK पार्टी से जुड़ीं। पहले राज्यसभा सांसद बनीं और फिर तमिलनाडु की 6 बार मुख्यमंत्री रहीं। जनता उन्हें ‘अम्मा’ कहकर पुकारने लगी। उनके शासन में ‘अम्मा कैंटीन’, ‘अम्मा वॉटर’, ‘अम्मा मेडिकल’ जैसी कई योजनाएं शुरू हुईं, जो गरीबों के लिए वरदान साबित हुईं।

2016 में दुनिया को कहा अलविदा

जयललिता का निधन दिसंबर 2016 में हुआ, लेकिन उनकी यादें, उनके संघर्ष और उनका साम्राज्य आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है। एक अदाकारा, एक नेता और एक जननायिका – ‘अम्मा’ सिर्फ नाम नहीं, एक युग थीं

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