वित्त मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कही गई बात
Business News (आज समाज), बिजनेस न्यूज : भारत की अर्थव्यवस्था अपने घरेलु उपभोक्ता, मांग और उत्पादन के चलते लगातार ठोस बनी हुई है। यही कारण है कि वर्तमान में जहां विश्व के बहुत सारे देश वित्तीय प्रबंधन में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं उस समय में हमारी अर्थव्यवस्था महंगाई में नरमी, घरेलू मांग में लगातार सुधार और नीतिगत हस्तांतरण में सुधार ने अर्थव्यवस्था को स्थिर और टिकाऊ विकास की राह पर बनाए रखा है। इसमें कहा गया है कि जीएसटी सुधार से अर्थव्यवस्था को लाभ मिलने लगा है। इससे उपभोग संकेतक विस्तार की ओर बढ़ रहे हैं और शहरी व ग्रामीण दोनों ही मांग को समर्थन मिल रहा है।
रबी सीजन की अच्छी शुरुआत से मिला सहारा
भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसकी प्रगति की राह गांव और खेतों के बीच से होकर गुजरती है। यही कारण है कि हमारे देश की आर्थिक विकास दर को कृषि काफी ज्यादा मजबूत करती है। रबी सीजन की शुरूआत अच्छी होने से कृषि क्षेत्र का परिदृश्य बेहतर हुआ है। कुल रबी बुवाई में वार्षिक आधार पर 14.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसमें गेहूं की बुवाई 19.9 प्रतिशत और चने की बुवाई 8.9 प्रतिशत बढ़ी, जो जलाशयों के स्वस्थ स्तर और अनुकूल नमी की स्थिति के कारण संभव हुई। 20 नवंबर तक खरीफ की खरीद 170.9 लाख टन तक पहुंच चुकी है।
बैंक ऋण वृद्धि दर बढ़कर 10.4 प्रतिशत पहुंची
रिपोर्ट में बताया गया है कि सितंबर तक बैंक ऋण वृद्धि दर बढ़कर 10.4 प्रतिशत सालाना हो गई। एमएसएमई ऋण 19.7 प्रतिशत सालाना वृद्धि के साथ मजबूत बना रहा और सूक्ष्म व लघु उद्यमों के ऋण में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सोने की बढ़ती कीमतों के कारण आभूषणों पर ऋण में 114.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में श्रम बल भागीदारी मामूली रूप से बढ़कर 55.1 प्रतिशत हो गई, जबकि बेरोजगारी दर घटकर 5.2 प्रतिशत रह गई। सीएमआईई के अनुसार, मौसमी बदलावों के कारण अक्तूबर में कृषि रोजगार में वृद्धि हुई और ग्रामीण बेरोजगारी में अस्थायी वृद्धि हुई। नियुक्ति का दृष्टिकोण आशावादी बना हुआ है, 2026 तक नियुक्ति की प्रवृत्ति 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें एआई/एमएल भूमिकाओं की मांग उल्लेखनीय है।
रोजगार क्षमता बढ़कर 56.4 प्रतिशत हो गई है, जिसमें पहली बार महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। समीक्षा में निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में स्थिर और लचीले विकास पथ पर प्रवेश करेगा, जिसे मुद्रास्फीति में कमी, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय, स्वस्थ वित्तीय बाजार और ग्रामीण-शहरी मांग में मजबूती का समर्थन प्राप्त होगा।
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