कहा, बीबीएमबी का पंजाब के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया

Punjab-Haryana Water Dispute (आज समाज), चंडीगढ़/नई दिल्ली : नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य से संबंधित जो महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए उनमें से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) का भी था। बीबीएमबी पक्षपातपूर्ण रवैये का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के तहत किया गया था, जिसका अधिकार भाखड़ा, नंगल और ब्यास परियोजनाओं से भागीदार राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ को पानी और बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए है।

उन्होंने कहा कि पंजाब ने पिछले समय में अपने पीने के पानी और अन्य आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए भागीदार राज्यों के साथ पानी साझा करने में बहुत उदारता दिखाई है क्योंकि पंजाब अपनी पानी की मांग को पूरा करने के लिए अपने भूजल भंडारों पर निर्भर करता था, खासकर धान की फसल के लिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप भूजल स्तर बहुत नीचे चला गया है, यहां तक कि पंजाब के 153 ब्लाकों में से 115 ब्लॉक (76.10 प्रतिशत) अत्यधिक भूजल दोहन कर रहे हैं, जो देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है।

बीबीएमबी ने पंजाब के हितों को नजरअंदाज किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीबीएमबी ने पंजाब के हितों को नजरअंदाज किया और पंजाब द्वारा उठाए गए गंभीर आपत्तियों के बावजूद हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि यह कानून की भावना और प्रस्तावों के खिलाफ है क्योंकि बीबीएमबी ने पंजाब की सहमति के बिना पंजाब का पानी लेने का यह फैसला लिया है। साथ ही, बीबीएमबी को सलाह दी जानी चाहिए कि वह संयम बरते और कानून के प्रस्तावों के अनुसार काम करे।

सीआईएसएफ की तैनाती के मुद्दे को उजागर किया

भाखड़ा नंगल बांध पर सीआईएसएफ की तैनाती के मुद्दे को उजागर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भाखड़ा और नंगल बांधों की सुरक्षा उनके निर्माण से ही संबंधित राज्यों की जिम्मेदारी रही है। उन्होंने कहा कि बिजली मंत्रालय ने भाखड़ा नंगल बांधों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ को तैनात करने का फैसला लिया है, जो एक अनावश्यक कदम है क्योंकि एक अच्छी तरह से स्थापित संचालन प्रबंधन को बिगाड़ने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह इन बांधों के संबंध में पंजाब के अधिकार को और कमजोर करता है। इसे देखते हुए भगवंत सिंह मान ने अनुरोध किया कि सीआईएसएफ को तैनात करने के फैसले को तुरंत रद्द किया जाए।

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