व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी ने कहा, हमारा उद्देश्य भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने से रोकना

Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिका ने अपना प्रभुत्व स्थापित करने और यूरोप में अपना दबदबा बनाने के लिए भार पर उच्च टैरिफ लगाने की योजना को अंजाम दिया है। अमेरिका का भारत पर प्रतिबंध लगाने का मकसद केवल रूस और भारत के बीच चल रहे व्यापारिक रिश्तों को कम करते हुए रूस पर आर्थिक कुठाराघात करना है जिससे वह कमजोर हो सके। इस संबंध में व्हाइट हाउस से एक बयान भी जारी किया गया है।

जिससे अमेरिका का उद्देश्य स्पष्ट होता है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लीविट ने इसकी जानकारी देते हुए इसे ट्रम्प प्रशासन रूस से तेल लेने पर भारत के खिलाफ की गई आर्थिक कार्रवाई को पैनल्टी या टैरिफ बताता है। आपको बता दें की ट्रम्प ने भारत पर अब तक कुल 50 टैरिफ लगाने का फैसला किया है। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है।

फिर किया भारत-पाक युद्ध रुकवाने का दावा

लीविट ने दावा किया कि आॅपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक संघर्ष को रोकने में ट्रम्प ने अहम भूमिका निभाई थी। प्रेस सेक्रेटरी के मुताबिक ट्रम्प ने व्यापार को हथियार की तरह इस्तेमाल कर इस संघर्ष को खत्म कराया। लीविट ने कहा कि ट्रम्प ने अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच पीस डील कराई। साथ ही रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आॅफ कॉन्गो के बीच संघर्ष खत्म करने में मदद की।

रूस और यूके्रन के बीच मध्यस्थता कर रहा अमेरिका

व्हाइट हाउस के मुताबिक, फिलहाल ट्रम्प का सबसे ज्यादा ध्यान रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास जंग को खत्म कराने पर है। ट्रम्प पहले भी कई बार भारत-पाक संघर्ष को खत्म कराने का श्रेय खुद को दे चुके हैं। ट्रम्प ने सोमवार देर रात (भारतीय समयानुसार) व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की थी। ट्रम्प ने इस बातचीत को सफल बताया। वहीं जेलेंस्की ने कहा कि यह अब तक की उनकी सबसे अच्छी बातचीत रही। हालांकि इस दौरान रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर पर सहमति नहीं बनी। ट्रम्प ने कहा कि फिलहाल इतनी जल्दी सीजफायर संभव नहीं है।

ट्रंप ने पुतिन से की फोन पर बात

टंप ने मीटिंग रोककर पुतिन से फोन पर 40 मिनट बात की। इस दौरान पुतिन ने रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के बीच सीधे बातचीत का समर्थन किया। यह बातचीत अगले 15 दिन के भीतर होगी। मीटिंग के बाद जेलेंस्की ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि यूक्रेन सुरक्षा गारंटी के बदले यूरोप के पैसों से 90 अरब डॉलर (करीब 8 लाख करोड़ रुपए) के अमेरिकी हथियार खरीदेगा। इस बातचीत में ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस समेत 6 यूरोपीय देशों के नेता भी शामिल हुए।

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