पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कोर्ट के माध्यम से भेजा नोटिस
Kaithal News (आज समाज) कैथल: हरियाणा के कैथल जिले के एक गांव को खाली करने के आदेश दिए गए है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने कोर्ट के माध्यम से गांव वासियों को नोटिस भेज गांव को छोड़ने के आदेश दिए है। दरअसल, विभाग को लगता है कि गांव में कई ऐतिहासिक चीजें मिल सकती हैं, क्योंकि यह भूमि रावण की जन्मस्थली है और उसके दादा की तपोस्थली है। एएसआई गांव के आसपास पहले भी कई बार खोदाई कर चुका है। यहां निकलने वाली चीजों को संरक्षित करना जरूरी है। वहीं कोर्ट के नोटिस मिलने के बाद गांव में तनाव का महौल है। ग्रामीण गांव को खाली करने के लिए तैयार नहीं है।

नोटिस मिलने के बाद महिला की हार्ट अटैक से मौत

गांव पोलड़ कैथल-पटियाला रोड पर सीवन कस्बे के पास स्थित है। ग्रामीणों ने बताया है कि उनके पास गुरुवार को नोटिस आया था कि गांव खाली कर दिया जाए। गांव में कुल 206 घर हैं। सभी को गांव छोड़ने के लिए बोला गया है। इससे महेंद्र सिंह की पत्नी गुरमीत कौर (65) तनाव में आ गई। ग्रामीणों ने बताया कि रविवार सुबह करीब 3 बजे गुरमीत कौर को दिल का दौरा पड़ गया, जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद गांव के लोग इकट्ठा होकर गुहला के विधायक देवेंद्र हंस के पास पहुंचे। उनसे मांग की है कि इस कार्रवाई को रोका जाए और लोगों की जमीनें बचाई जाएं।

3 बार हो चुकी खोदाई, एएसआई को कुछ नहीं मिला

ग्रामीण श्रवण कुमार, दिलबाग सिंह, सुनील सिंह और जगजीत सिंह बताते हैं कि अरक ने गांव में अब तक 3 बार खोदाई की है। उनके बुजुर्ग बताते हैं कि सबसे पहले गांव में साल 1833 में खोदाई हुई थी। तब कुछ भी बरामद नहीं हुआ था। इसके बाद 1960 के आसपास और अंतिम बार साल 2013 में खोदाई की गई थी। तीनों ही बार में कुछ नहीं मिला।

ग्रामीणें को बसाने की व्यवस्था नहीं

गांववालों का कहना है कि आज भी यहां आश्रम है जो रावण के पूर्वजों का बताया जाता है। एएसआई बताता है कि यह उसकी जमीन है। जबकि, लोग यहां पार्टीशन के समय से रह रहे हैं। अब एएसआई यहां से निकालने के नोटिस तो दे रहा है, लेकिन लोगों को बसाने कहीं व्यवस्था नहीं है।

गांव का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

  • इतिहासकारों के अनुसार, गांव पोलड़ को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह स्थल रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली रहा है। ग्रामीणों में ऐसी मान्यता है कि पुलस्त्य मुनि ने यहां सरस्वती नदी के किनारे स्थित इक्षुपति तीर्थ पर तपस्या की थी। वहीं, रावण का बचपन भी यहीं बीता था।
  • गांव में एक सरस्वती मंदिर है और सदियों पुराना एक शिवलिंग है, जिसका पुलस्त्य मुनि के काल से जुड़ाव है। इस मंदिर की देखरेख नागा साधु महंत देवीदास कर रहे हैं। वह बताते हैं कि मंदिर का निर्माण महंत राघवदास ने करवाया था।
  • महंत देवीदास ने बताया कि महंत राघवदास को एक सपना आया था। उसके आधार पर उन्होंने यह मंदिर बनवाया। वहीं, इतिहासकार प्रोफेसर बीबी भारद्वाज बताते हैं कि यह स्थान एक प्राचीन नगर हुआ करता था, जो प्राकृतिक आपदा में उजड़ गया। बाद में इसे फिर से बसाया गया। तब इसका नाम थेह पोलड़ पड़ा। थेह का मतलब, वह स्थान जहां कभी कोई बस्ती रही हो।

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