घर में बढ़ेगा सुख-सौभाग्य
Tulsi Vivah, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में तुलसी विवाह बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता तुलसी (जिसे वृंदा देवी भी कहा जाता है) का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से विधि पूर्वक कराया जाता है। माता तुलसी के शालिग्राम से विवाह के साथ ही चातुर्मास का समापन हो जाता है। इसके बाद विवाह, मुंडन जैसे सभी मांगलिक शुरू हो जाते हैं।
विशेष रूप से श्रृंगार करने पर प्रसन्न होती है तुलसी माता
तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विशेष तरह से श्रृंगार किया जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विशेष रूप से श्रृंगार करने पर माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं, जिससे घर में सुख-सौभाग्य बढ़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि तुलसी विवाह के दिन माता का श्रृंगार किस तरह करना चाहिए, जिससे माता का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर हो रही है। वही इस तिथि का समापन 03 नवंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल 02 नवंबर को तुलसी विवाह किया जाएगा।
तुलसी माता का श्रृंगार
- मां तुलसी का श्रृंगार करना तुलसी विवाह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- इस दिन विशेष रूप से माता तुलसी को दुल्हन की तरह सजाना चाहिए।
- सबसे पहले तुलसी के गमले या स्थान को अच्छी तरह साफ करना चाहिए।
- फिर पवित्र जल से शुद्ध करना चाहिए।
- इसके बाद तुलसी माता को लाल या पीले रंग की साड़ी पहनानी चाहिए।
- फिर मां तुलसी को चुनरी, चूड़ी, नथनी, मांग टीका, हार, कंगन, बिंदी, फूल, कमरबंद और अन्य हल्के से आभूषणों से सजाना चाहिए।
- उनके चारों ओर सुंदर रंगोली बनानी चाहिए।
- फिर दीपक जलाना चाहिए।
तुलसी विवाह का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह से घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है। जो भी अपने घर में तुलसी विवाह कराता है उसको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन जो कन्याएं व्रत रखती हैं उनको अच्छा वर मिलता है। वहीं अगर विवाहित दंपत्ति इस दिन व्रत करते हैं, तो उनके जीवन में खुशहाली आती है।
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