नहीं रहता अकाल मृत्यु का खतरा
Karva Chauth Special, (आज समाज), नई दिल्ली: आज करवा चौथ का पर्व मनाया जा रहार है। आज के दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना से दिनभर निर्जला व्रत करती हैं। अमर सुहाग और प्रेम के प्रतीक इस पर्व के दिन करवा माता की पूजा की जाती है। मिट्टी के कलश से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद महिलाएं पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। कुछ महिलाएं इस पानी को पूरा पी जाती हैं तो कुछ पति को पिलाती हैं। लेकिन, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं ये जूठा पानी पति को नहीं, बच्चे को पिलाना चाहिए। आइए जानते हैं इससे जुड़ी मान्यता।
अकाल मुत्यु के बचाव
करवा चौथ व्रत के बाद महिलाओं को अपना बचा हुआ पानी बच्चे को पिलाना चाहिए। ध्यान रहे पानी ताबे के वर्तन में ही पीएं। ऐसी मान्यता है कि इससे बच्चों की अकाल मृत्यु नहीं होती है। हालांकि, यह सिर्फ एक धार्मिक मान्यता है, जिसका उद्देश्य बच्चों के लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना है। इसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।
पतिव्रत धर्म का प्रभाव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने परिवार के सदस्यों की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं। इसलिए व्रत के बाद पानी पीने के दौरान परिवार की भलाई के लिए माता से प्रार्थना करें।
भगवान गणेश जी से जुड़ी है यह मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश ने माताओं को यह वरदान दिया था कि व्रत के अंत में पति द्वारा पिलाए गए जल से बचा हुआ झूठा पानी बच्चों को पिलाने से उनकी किसी भी दुर्घटना में मृत्यु नहीं होगी। इसके लिए गणेश जी ने कहा मां एक वरदान आज मैं देता हूं। वे बोलीं क्या? गणेशजी बोले जब दिन भर माताएं व्रत करेंगी और शाम को मेरा चेहरा चंद्रमा में देखकर पति को देखेंगी तो शनिदेव का पर्दा करेंगी। व्रत पूरा होने के बाद जब पति अपनी पत्नी को जल पिलाएगा तो उस दौरान बचा पानी बच्चे को पिलाएं। ऐसा करने से बच्चे को अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रहेगा।
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