राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव और जिला आयुक्तों को नोटिस भेजकर मांगा जवाब
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में कुम्हारों को आवंटित की गई जमीन पर हो रहे अवैध कब्जों पर ाष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कड़ा संज्ञान लिया है। आयोग ने मुख्य सचिव तथा जिला आयुक्त को नोटिस भेज कर चार सप्ताह के अंदर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। प्रजापति समाज ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी कि उन्हें पंचायत की ओर से मिली भूमि पर गांव के ही कुछ लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं जिसके चलते वह मिट्टी के बर्तन नहीं बना रहे हैं।

जिसपर पर आयोग ने जवाब मांगा है। मुख्य सचिव तथा जिला आयुक्त को चार सप्ताह के भीतर आयोग को जवाब देना होगा। जिसके बाद से प्रशासन की ओर से अवैध कब्जे वाली जगहों को चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया गया है।

1966 में चकबंदी के समय दी गई थी जमीन

प्रदेश के सभी गांवों में गोचर भूमि की तर्ज पर 1966 में चकबंदी के समय आवे-पजावे (आवंटित जमीन) के लिए सरकार ने एक से पांच एकड़ तक भूमि मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए दी थी। जानकारी के मुताबिक हरियाणा में सात से आठ हजार एकड़ भूमि आवे-पजावे के उपयोग के लिए दी गई थी।

इन जगहों पर कर रखे कब्जे

गुरुग्राम के फरखनगर, सोहना, झज्जर, नारनौल चरखीदादरी सहित प्रदेश के कई जिलों में दी गई जमीन पर अवैध कब्जे गांव के ही प्रभावशाली लोगों ने कर लिए। जिसके चलते प्रजापति समाज के लोगों को अपने काम को करने के लिए दूसरा ठिकाना बनाना पड़ा।

प्रजापति समाज बिना किसी हस्तक्षेप और बाधा के भूमि का करने दिया जाए उपयोग

इस पर अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में आयोग की खंडपीठ ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने 13 जून को मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार, चंडीगढ़ तथा जिला उपायुक्तों को नोटिस जारी किया है। नोटिस के जरिये यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि प्रजापति समाज को उक्त भूमि का उपयोग बिना किसी हस्तक्षेप और बाधा के करने की अनुमति दी जाए।

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