मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और अरविंद केजरीवाल ने ईजी जमाबंदी पोर्टल के माध्यम से राजस्व सुधारों के लिए एक और क्रांतिकारी कदम उठाया

Punjab Breaking News (आज समाज), अमृतसर : पंजाब में लोगों को साफ सुथरा और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के अपने वादे को पूरा करने के उद्देश्य से सीएम मान ने एक नई पहल आरंभ की है। मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान और दिल्ली के पूर्व मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज ईजी जमाबंदी पोर्टल की शुरुआत की, जिसके साथ पंजाब ने अपने नागरिकों को भ्रष्टाचार मुक्त, सुचारू, परेशानी रहित और पारदर्शी सेवाएं प्रदान करने में सफलता का नया मुकाम हासिल किया है। दोनों नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों से भ्रष्टाचार मुक्त शासन का वादा किया था और आज यहां से शुरू हुआ ईजी जमाबंदी पोर्टल का क्रांतिकारी प्रयास हमारी सरकार की ईमानदारी, नेक नीयत, पारदर्शिता और जन-हितैषी उपक्रमों को दशार्ता है।

भगवंत सिंह मान और अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह पोर्टल लोगों को पांच प्रमुख सेवाएं प्रदान करेगा, जिनमें व्हाट्सएप पर जमाबंदी प्राप्त करना, इंतकाल करवाना, रपट एंट्री और फर्द बदर (भूमि रिकॉर्ड में सुधार) के लिए आॅनलाइन सेवाएं शामिल हैं। इसका विस्तार से उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप के माध्यम से जमाबंदी प्राप्त करने का निर्णय लोगों को बड़े पैमाने पर सुविधा प्रदान करेगा, क्योंकि हर साल 40 लाख लोगों को भूमि रिकॉर्ड की फर्द (जमाबंदी) प्राप्त करने के लिए या तो अपने पटवारी के पास चक्कर काटने पड़ते थे या फर्द केंद्रों पर जाना पड़ता था।

ईजी वेबसाइट से मिलेगी जमाबंदी

हालांकि, दोनों नेताओं ने कहा कि अब भूमि रिकॉर्ड के लिए पटवारी के पास जाने, कतारों में खड़े होने या रिश्वत देने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि लोगों को केवल ईजी वेबसाइट पर जाकर अपने विवरण दर्ज करने हैं और उन्हें जमाबंदी की प्रति मुफ्त में मिल जाएगी। भगवंत सिंह मान और अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस जमाबंदी पर डिजिटल हस्ताक्षर होंगे और इसमें क्यूआर कोड भी होगा, जिसके माध्यम से कोई भी भूमि रिकॉर्ड की सत्यता की जांच के लिए क्यूआर कोड को स्कैन कर सकता है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पंजाब के 99 प्रतिशत गांवों के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज कर दिया है, सभी भूमि रिकॉर्ड इस सेवा के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं और साथ ही बचे हुए गांवों को भी अगले दो महीनों में डिजिटाइज कर दिया जाएगा। आॅनलाइन इंतकाल सेवा के बारे में विवरण देते हुए दोनों नेताओं ने कहा कि हर साल आठ लाख इंतकाल होते हैं, जिनमें 6 लाख भूमि रजिस्ट्री के बाद और 2 लाख वंशानुगत इंतकाल शामिल हैं।

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