जानवरों की भावनाओं को समझने और इंसानों से जोड़ने पर काम कर रहा लंदन में एक नया एआई सेंटर
AI (आज समाज) नई दिल्ली: लंदन में एक नया एआई सेंटर जानवरों की भावनाओं को समझने और इंसानों से जोड़ने पर काम कर रहा है। इस सेंटर का उद्देश्य इंसानों और जानवरों के बीच की भावनात्मक और व्यवहारिक समझ को बेहतर बनाना है। केवल कुत्ते और बिल्ली ही नहीं, बल्कि कीड़े, झींगे और समुद्री जीव जैसे कटलफिश भी इस रिसर्च का हिस्सा होंगे।

यह सेंटर लंदन स्कूल आॅफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में स्थापित किया है, जिसका नाम जेरेमी कॉलर सेंटर फॉर एनिमल सेंटिएंस रखा गया है। यह सेंटर 30 सितंबर 2025 से अपने काम की शुरूआत करेगा।

लगभग 42 करोड़ की लागत से तैयार किया गया प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट करीब 4 मिलियन पाउंड (लगभग 42 करोड़ रुपये) की लागत से तैयार किया गया है। इसमें AI, न्यूरोसाइंस, कंप्यूटर साइंस, बायोलॉजी, लॉ, फिलॉसफी, साइकॉलॉजी और वेटेरिनरी साइंस के विशेषज्ञ एक साथ मिलकर काम करेंगे।

पालतू जानवरों की बॉडी लैंग्वेज और आवाजों का विश्लेषण करेगा AI

AI टेक्नोलॉजी के जरिए ऐसे ट्रांसलेटर एप्स डेवलप किए जा रहे हैं जो पालतू जानवरों की बॉडी लैंग्वेज और आवाजों का विश्लेषण कर यह बता पाएंगे कि वो क्या महसूस कर रहे हैं- जैसे कि खुशी, डर या बेचैनी।

हालांकि, इस तकनीक की सीमाएं भी हैं। सेंटर के निदेशक प्रोफेसर जोनाथन बिर्च ने आगाह किया कि AI हमेशा सही नहीं होता। किसी एप का यह दावा करना कि आपका कुत्ता खुश है, असल में एक गलत व्याख्या भी हो सकती है।