There should be an attempt to leave the auspicious image of bureaucracy – PM Modi: अफरसशाही की रौब वाली छवि छोड़ने की कोशिश होनी चाहिए-पीएम मोदी

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नई दिल्ली। प्रधानंमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को सरदार पटेल की 144वीं जयंती पर गुजरात में थे। उन्होंने वहां स्टैच्यू आॅफ यूनिटी पहुंचकर पुष्पांजलि दी। इसके बाद पीएम मोदी ने केवडिया में सिविल सेवा प्रशिक्षुओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिविल सेवा को राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता का अहम माध्यम बनाने का विजन स्वयं सरदार पटेल का था। पीएम मोदी ने कहा कि सिविल सर्विसेज का इंटीग्रेशन आज से शुरू हो रहा है। ऐसे में यह अपने आप में एक रिफॉर्म है। सरदार साहब ने ही याद दिलाया था कि ये ब्यूरोकेसी ही है जिसके भरोसे हमें आगे बढ़ना है, जिसने रियासतों के विलय में अहम योगदान दिया था। सरदार पटेल ने दिखाया है कि सामान्य जन के जीवन में सार्थक बदलाव के लिए हमेशा एक बुलंद इच्छाशक्ति को होना जरूरी होता है। आज भारत तेजी से बदल रहा है। कभी अभावों में चलनी वाली व्यवस्था आज विपुलता की तरफ बढ़ रही है। आज देश में विपुल युवा शक्ति, विपुल युवा भंडार और आधुनिक तकनीक है। अपने सभी निर्णयों को आप ब्यूरोक्रेट्स ने दो कसौटियों पर जरूर कसना चाहिए। एक, जो महात्मा गांधी ने रास्ता दिखाया था कि आपका फैसला समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति की आशा, आकांक्षाओं को पूरा करता है या नहीं। दूसरा, आपका फैसला इस कसौटी से कसना चाहिए कि उससे देश की एकता, अखंडता को बढ़ावा मिले। ब्यूरोक्रेसी और सिस्टम आज दो ऐसे शब्द बन गए हैं जो अपने आप में नेगेटिव परसेप्शन बन गया है। आखिर ये हुआ क्यों? जबकि अधिकतर अफसर मेहनती भी हैं। सिविल सेवाओं को लेकर अफसरशाही की, रौब की एक छवि रही है। इस छवि को छोड़ने में कुछ लोग पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं। इस छवि को छोड़ने की पूरी कोशिश होनी चाहिए।

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