Rasgulla is now from Odisha not Bengal: रसगुल्ला हुआ दलबदलु, अब हुआ ओडिशा का

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नई दिल्ली। ओडिशा की प्रसिद्ध मिठाई रसगुल्ला को सोमवार को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (जीआई टैग) मिल गया। इससे पहले रसगुल्ला को बांग्ला रसगुल्ला का टैग था। भौगोलिक संकेतक के रजिस्ट्रार (दि रजिस्ट्रार आॅफ जियोग्राफिरल इंडिकेशंस), चेन्नई ने एक प्रमाणपत्र जारी किया है जिसमें वस्तुओं के भौगोलिक संकेत के कानून (पंजीकरण और सुरक्षा) के तहत मिठाई को ‘ओडिशा रसगुल्ला’ लिखा गया है। यह प्रमाण पत्र 22 फरवरी 2028 तक मान्य होगा।

जीआई टैग या जियो टैग किसी प्रॉडक्ट को एक विशेष क्षेत्र या इलाके की विशिष्टता के तौर पर प्रदर्शित करता है। आसान शब्दों में कहें तो यदि किसी वस्तु का जीआई टैग है तो वह वस्तु उस क्षेत्र की विशेष वस्तु है, जहां वह पाई जाती है।

2017 में पश्चिम बंगाल को मिला था जीआई टैग

बता दें कि रसगुल्ले की उत्पत्ति को लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा में साल 2015 से विवाद चल रहा था। साल 2017 में पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले को जीआई टैग दे दिया गया था। ओडिशा द्वारा इस फैसले पर आपत्ति दर्ज कराई गई तो जीआई रजिस्ट्रार ने ओडिशा को दो महीने का समय दिया था कि वह इससे संबंधित अपने दावों को साबित करे।

15वीं शताब्दी की डांडी रामायण में भी वर्णन

ओडिशा रसगुल्ला के जियो टौग के लिए साल 2017 में ओडिशा स्माल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएसआईसी) और मिठाई व्यापारी संगठन उत्कल मिष्ठान व्यवसायी समिति ने मिलकर आवेदन किया था। बता दें कि रसगुल्ला भगवान जगन्नाथ द्वारा स्थापित की गई राज्य की सदियों पुराने संस्कारों का भाग रहा है। इसका वर्णन 15वीं शताब्दी के ओडिया ग्रंथ ‘डांडी रामायण’ में भी है।

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