Corona patients are not being treated properly, patients have to live with dead bodies: कोरोना मरीजों के साथ नहीं हो रहा उचित व्यवहार, शवों के साथ मरीजों को रहना पड़ रहा

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हो रही मौतोंकेशवों केसाथ उचित व्यवहार नहीं होने के मामले को तीन जजों की बेंच नेस्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने इस संदर्भ में चार राज्यों से इस मामले में चार राज्यों से रिपोर्ट मांगी है। कोविड -19 मरीजों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है और शव कचरे में मिल रह हैं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कोरोना महामारी से संक्रमित शवों के प्रबंधन पर सवाल उठाए और स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना की जांच में आई गिरावट पर भी चिंता जताते हुए कहा कि राजधानी में पहले की तुलना में कम जांच हो रही है, जबकि संक्रमण दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। न्यायमूर्ति भूषण ने कहा, ह्लहमें मीडिया रिपोर्ट में मरीजों की दुर्दशा की जानकारी मिली है। कोर्ट ने कहा कि मरीजों को शवों केसाथ ही रहना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने 15 मार्च को शवों के इंतजामात को लेकर दिशनिर्देश जारी किया हुआ है लेकिन उसका भी पालन नहीं हो रहा है। न्यायालय ने दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु को नोटिस जारी किये। अब इस मामले की सुनवाई 17 जून को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में कोरोना से मरने वालों की उचित देखभाल नहीं हो रही। परिवार के सदस्यों को उनकी मौत के बारे में सूचना नहींदी जा रही। यहां तक कि कुछ मामलों में उनके परिवार को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है।

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