Banks Closed For Four Days दो दिन की हड़ताल से बैंक होंगे 4 दिन के लिए बंद

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Banks Closed For Four Days

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली :

Banks Closed For Four Days : केंद्र की मोदी सरकार के निजीकरण के विरोध बैंकों के निजीकरण सहित अन्य सरकारी फैसलों के विरोध में विभिन्न कर्मचारी यूनियन की हड़ताल के कारण शनिवार से देशभर में बैंक अगले चार दिन तक बंद रहेंगे। उनके इस ऐलान से देश के बैंकों की सेवाओं पर भी काफी असर पड़ेगा। उनकी इस दो दिन की हड़ताल की वजह से बैंकों के कामकाज लगातार करीब चार दिन तक बंद रहेंगे। 28-29 मार्च को विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। वहीं, चौथा शनिवार होने के कारण 26 और रविवार होने की वजह से 27 को भी बैंक बंद रहेंगे।

एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) ने कहा

इस हड़ताल से देशभर में बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ सकता है। हड़ताल का आह्वान सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण तथा बैंक कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में किया गया है। एसबीआई(भारतीय स्टेट बैंक) ने कहा, बैंक यूनियन की तरफ से किए जाने वाले हड़ताल की वजह से 28 मार्च और 29 मार्च को बैंकों में कामकाज प्रभावित रहेगा। एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) ने एक बयान में कहा कि हम पूरी कोशिश करेंगे कि इस दौरान ग्राहकों को किसी प्रकार की परशानी का सामना न करना पड़े। इस दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा ऑल इंडिया बैंक कर्मचारी एसोसिएशन जैसे संगठनों ने की है। वही अप्रैल में भी छुट्टियों के कारण बैंक 15 दिन बंद रहेंगे।

भुगतान प्रणाली के लिए एक ढांचा जारी

भारतीय बैंक संघ (आरबीआई) ने भुगतान प्रणाली के लिए एक ढांचा जारी किया। यह एक टच प्वाइंट होगा, जो भुगतान अवसंरचना की उपलब्धता की सही तरीके से निगरानी करेगा। इसमें प्वाइंट ऑफ सेल के साथ क्यू आर कोड भी सम्लित होगा। आरबीआई ने कहा कि वह सभी नागरिकों तक डिजिटल भुगतान व्यवस्था को पहुंचाने के लिए काम कर रहा है। इसे पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा। भारतीय स्टेट बैंक ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि बैंक ने हड़ताल के दिनों में अपनी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था की है, लेकिन यह आशंका है कि हड़ताल से बैंक में कामकाज कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है।

दो दिन की हड़ताल का कारण क्या है ?

हाल ही में हुए राज्यों के चुनावों के परिणामों से उत्साहित केंद्र की भाजपा सरकार ने मेहनतकश जनता के हितों के खिलाफ नीतियों को जोर-शोर से लागू करना शुरू कर दिया है। एम्प्लाइज प्रोविडेंट फण्ड डिपाजिट पर ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया है। साथ ही, पेट्रोल-डीजल, एलपीजी, सीएनजी आदि के दाम में अचानक से वृद्धि की गई है। सार्वजनिक उपक्रमों की जमीन को बाजार पर मौद्रीकरण योजना को लेकर कदम उठाये जा रहे हैं। बैठक में इन नीतियों की आलोचना की गई। बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा की घोषणा का भी स्वागत किया गया।

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