MP-MLA Court convicts BSP MLA, (आज समाज), लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मई-1994 के दोहरे हत्याकांड में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान को एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। छोटे सिंह चौहान ने आज सरेंडर कर दिया था। न्यायाधीश भारतेंदु सिंह ने उसे सजा सुनाई। जैसे ही सजा का ऐलान किया गया, पुलिस ने छोटे सिंह हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।
30 मई 1994 को की गई थी हत्या
छोटे सिंह चौहान ने जालौन ज़िले में चुर्खी थानांतर्गत बिनौरा बैध गांव में 30 मई 1994 को दो सगे भाइयों-जगदीश शरण और राजकुमार उर्फ राजा भइया की हत्या कर दी थी। ग्राम प्रधान चुनाव के दौरान राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता व स्थानीय वर्चस्व को लेकर हुए विवाद के चलते वारदात को अंजाम दिया गया था।
सोमवार को छोटे सिंह को दोषी करार दिया
एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court ) ने सोमवार को छोटे सिंह को दोषी करार दिया था और सजा के लिए आज गुरुवार की तारीख मुकर्रर की गई थी। दोषी घोषित किए जाने के बाद से छोटे सिंह फरार था। अदालत में आज सुनवाई के दौरान कोर्ट के बाहर भारी संख्या में छोटे सिंह के समर्थक मौजूद थे। एहतियातन, सुरक्षा के मद्देनजर कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था।
ऐसे दिया था वारदात को अंजाम
प्राथमिकी के अनुसार, पीड़ित परिवार के सदस्य व पड़ोसी एक साथ बरामदे में बैठे थे, तभी कई हथियारबंद हमलावर परिसर में घुस आए और गोलीबारी शुरू कर दी। राजकुमार और जगदीश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य व्यक्ति, वीरेंद्र सिंह, घायल हो गया। हमलावरों की पहचान रुद्रपाल सिंह उर्फ लल्ले गुर्जर, राजा सिंह, संतवन सिंह गुर्जर, करण सिंह उर्फ कल्ले और दो अज्ञात व्यक्तियों के रूप में हुई। बाद की पुलिस जांच में छोटे सिंह चौहान और अन्य, अखिलेश कृष्ण मुरारी, बच्चा सिंह और छुन्ना सिंह को मामले में आरोपी बनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला
जिÞला एवं सत्र न्यायालय में 18 फरवरी, 1995 को मुकदमा शुरू हुआ। छोटे सिंह चौहान 2007 में बसपा के टिकट पर कालपी से विधायक बने थे। हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। इसके बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने मामला वापस ले लिया और अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने मुकदमा बंद कर दिया। बाद शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और शीर्ष कोर्ट ने 24 अप्रैल, 2024 को राज्य सरकार के मुकदमा वापस लेने के फैसले को रद्द कर दिया और एमपी-एमएलए कोर्ट को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया।
यह भी पढ़ें: Supreme Court On Justice Varma Case: आपका आचरण विश्वास पैदा नहीं करता, आप समिति के समक्ष क्यों पेश हुए