Mumbai Maratha Protest live, (आज समाज), मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में जारी मराठा आरक्षण आंदोलन (Maratha reservation movement) की आग तेज होती दिख रही है। आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ( Manoj Jarange) को शहर के आजाद मैदान में अनशन पर बैठे आज पांचवां दिन है और उन्हें हाई कोर्ट के निर्देश पर धरना स्थल को जल्द छोड़ने को लेकर स्थानीय पुलिस ने नोटिस दिया है।
हजारों की संख्या में मुंबई पहुंचे हैं जरांगे के समर्थक
मनोज जरांगे नोटिस के बावजूद अपनी जिद पर अड़ गए हैं और उन्होंने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक, चाहे गोली चल जाए, उनकी जान चली जाए, वह व उनके समर्थक मैदान से नहीं हटेंगे। बता दें कि प्रदेश के कई इलाकों से हजारों की संख्या में जरांगे के समर्थन में लोग मुंबई पहुंचे हैं। वे सड़कों पर खाना खा रहे हैं और नहाते देखे जा सकते हैं। इस कारण लगातार यातायात बाधित हो रहा है।
प्रदर्शनकारियों पर शर्तों के उल्लंघन का आरोप
हाई कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। आंदोलनकारी सड़कों पर उतर आए और शहर के प्रमुख स्थानीय स्टेशनों पर भीड़ जमा कर दी। इससे नाराज हाई कोर्ट ने राज्य की फडणवीस सरकार से आंदोलन को खत्म करवाने की अपील की। कोर्ट के इस आदेश के बाद मुंबई पुलिस ने जरांगे को नोटिस जारी कर उन्हें आजाद मैदान को जल्द छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आंदोलन के कारण मुंबई पूरी तरह ठप्प हो गई है और स्थिति गंभीर है क्योंकि जारंगे ने आंदोलन के चौथे दिन पानी छोड़ कर अपना रुख कड़ा कर लिया है।
ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण मिलने पर ही छोड़ेंगे मुंबई
नोटिस के बाद आज आज़ाद मैदान में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए मनोज जारंगे ने कहा, हाई कोर्ट के आदेशों का पालन करें। मुंबईवासियों को परेशान न करें। सड़कों पर न घूमें, वाहन निर्धारित जगहों पर ही पार्क करें। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता ने कमज़ोर आवाज़ में कहा, जो लोग मेरी बात नहीं सुनना चाहते, वे अपने गांव लौट जाएं।
हमारे लोग पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार और गुंडागर्दी नहीं करते
उन्होंने कहा, वह मुंबई तभी छोड़ेंगे जब मराठों को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण मिल जाएगा। मनोज जरांगे ( Manoj Jarange) ने कहा, हमारे लोग पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार और गुंडागर्दी नहीं करते। उन्होंने कहा, मैं नहीं चाहता कि मेरी जाति पर कोई लांछन लगाया जाए। मैं आपके और आपके बच्चों के लिए बहुत दर्द और पीड़ा झेल रहा हूं। अगर आप इस तरह का व्यवहार करेंगे, तो आंदोलन का क्या फायदा।
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