Mithun Chakraborty (आज समाज) नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और पूर्व राज्यसभा सांसद मिथुन चक्रवर्ती इन दिनों फिल्मों की वजह से नहीं, बल्कि अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में हैं। लेकिन अब कोलकाता हाई कोर्ट ने उन्हें एक बड़ी राहत दी है। अदालत ने पुलिस को मिथुन की गिरफ्तारी से रोक दिया है और फिलहाल उनसे वर्चुअल पूछताछ की अनुमति दी है।
‘श्मशान’ वाला बयान बना मुसीबत
मामला साल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान का है, जब मिथुन ने एक चुनावी रैली में अपने चर्चित फिल्मी डायलॉग – “मारबो एकहने, लाश पोड़बे शशाने” और “मैं पानी का सांप नहीं, कोबरा हूं” बोले थे। इन डायलॉग्स को भड़काऊ भाषण बताते हुए कोलकाता के मानिकतला थाने में उनके खिलाफ IPC की धाराओं 153A (सांप्रदायिक नफरत फैलाने), 504, 505 और 120B के तहत FIR दर्ज की गई थी। आरोप है कि इन बयानों से सांप्रदायिक तनाव फैल सकता था।
साल्ट लेक में दूसरा भड़काऊ भाषण
मिथुन एक बार फिर विवादों में तब घिर गए जब 27 अक्टूबर 2024 को साल्ट लेक स्थित EZCC में आयोजित बीजेपी सदस्यता अभियान के दौरान उन्होंने कहा: “तुम हमारे डाल का एक फल तोड़ोगे, हम तुम्हारे चार तोड़ेंगे… 2026 में मसनद हमारा होगा!”
इस बयान को भी सांप्रदायिक और उकसाने वाला मानते हुए बिधाननगर दक्षिण थाने और बहूबाजार थाने में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई। शिकायतकर्ता कौशिक साहा ने आरोप लगाया कि मिथुन ने जानबूझकर समाज में नफरत फैलाने की कोशिश की। हालांकि, इस मामले में अभी तक न तो कोई समन भेजा गया और न ही पूछताछ हुई।
कोर्ट में पेशी भी तय
मिथुन के खिलाफ रामपुर (उत्तर प्रदेश) में भी केस दर्ज हो चुका है। अखिल भारतीय अल्पसंख्यक अधिवक्ता एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मोहम्मद रेहान खां ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उनके बयानों को एक समुदाय विशेष के खिलाफ बताया गया।
इतना ही नहीं, साल 2025 में कोलकाता के चितपुर थाने में उनके पूर्व सहायक की पत्नी द्वारा दर्ज एक केस ने एक्टर की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। महिला ने गंभीर व्यक्तिगत आरोप लगाए हैं, जिनकी जांच सियालदह कोर्ट में चल रही है।
क्या बोले मिथुन?
मिथुन चक्रवर्ती ने इन सभी मामलों पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। वहीं BJP नेता सुकांत मजूमदार और समिक भट्टाचार्य ने इन कार्रवाईयों को राजनीति से प्रेरित बताया है, जबकि विपक्षी दल TMC ने मिथुन के बयानों को “विभाजनकारी और भड़काऊ” करार दिया है।
सम्मान और विवाद दोनों साथ-साथ
विवादों के बीच मिथुन को 2024 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया था। जहां एक तरफ ये पुरस्कार उनकी कला के प्रति योगदान को सम्मान देते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके बयानों से जुड़ा विवाद उनकी छवि को प्रभावित कर रहा है।