आज समाज, नई दिल्ली: Madan Bob Death News : तमिल सिनेमा के सबसे चहेते अभिनेता मदन बॉब अब इस दुनिया में नहीं रहे। 71 वर्ष की उम्र में उन्होंने 2 अगस्त 2025 को चेन्नई स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। लंबे समय से कैंसर से पीड़ित मदन बॉब काफी समय से अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन अंततः वो बीमारी से जंग हार गए।
इंडस्ट्री में शोक की लहर
उनके निधन की खबर से साउथ इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया से लेकर फिल्मी गलियारों तक हर कोई इस मंझे हुए अभिनेता को नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहा है।
मदन बॉब सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, वो तमिल सिनेमा का मुस्कराता चेहरा थे। उनकी टाइमिंग, एक्सप्रेशन और नेचुरल डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें हर पीढ़ी के दर्शकों के दिल में खास जगह दी।
चाहे वो ‘वसूल राजा MBBS’ में डॉक्टरों के बीच हंसी बिखेरते दिखे हों या ‘चंद्रमुखी’ में अपनी कॉमिक मौजूदगी से दर्शकों को गुदगुदाया हो, मदन बॉब ने हर रोल को जीया।
यहां से शुरू की थी करियर की शुरुआत
बहुत कम लोगों को पता है कि मदन बॉब ने अपना करियर बतौर संगीतकार शुरू किया था। 1980 के दशक की शुरुआत में उन्होंने म्यूजिक इंडस्ट्री में कदम रखा और जल्द ही अपने अभिनय कौशल से भी दर्शकों को चौंका दिया।
ये थी पहली फिल्म
उनकी पहली फिल्म थी ‘नींगल केट्टवई’ (1984), जिसके निर्देशक थे दिग्गज बालू महेंद्र। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ‘वानामे एलाई’ (1992) और ‘थेवर मगन’ जैसी फिल्मों में दमदार भूमिकाएं निभाकर वो तमिल सिनेमा में स्थायी पहचान बना गए।
मदन बॉब ने रजनीकांत, कमल हासन, विजय, सूर्या, अजित जैसे साउथ के मेगा स्टार्स के साथ काम किया और हर बार अपनी मौजूदगी से कहानी में ताजगी भर दी। उनकी कॉमिक टाइमिंग इतनी मजबूत थी कि दर्शक उनके किरदारों का इंतज़ार करते थे।
टेलीविजन की दुनिया में भी सुपरहिट
सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रहे मदन बॉब। उन्होंने टेलीविजन की दुनिया में भी तहलका मचाया। खासकर सन टीवी के सुपरहिट कॉमेडी शो ‘असाथा पोवथु यारु’ में बतौर जज उनकी मौजूदगी ने उन्हें घर-घर तक पहचान दिलाई। उनके रिएक्शंस, हंसी के ठहाके और कंटेस्टेंट्स के साथ मज़ाकिया अंदाज आज भी दर्शकों के दिल में ताजा हैं।
हर किरदार में जान
उन्होंने 100 से भी ज्यादा तमिल फिल्मों में काम किया और हर फिल्म में अपनी कॉमेडी से वो छाप छोड़ गए। चाहे वो छोटा सा सीन हो या लंबा ट्रैक – मदन बॉब जानते थे दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान कैसे लानी है। ‘साथी लीलावती’, ‘रन’, ‘वरलारू’, ‘कावलन’, ‘यमन कट्टलाई’, ‘रयान’ जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने हंसी के साथ-साथ भावनात्मक जुड़ाव भी पैदा किया।