जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त
Maa Brahmacharini, (आज समाज), नई दिल्ली: मां दुर्गा की आराधना का पर्व है नवरात्र, जिसकी शुरुआत हो चुकी है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। यह दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान से पूजा करने पर मनोकामना पूर्ण होती है। क्या आप जानते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं और इनकी पूजा का क्या महत्व है?

कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी

मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं देवी ब्रह्मचारिणी। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी। यह देवी माता पार्वती का अविवाहित रूप हैं।

जब उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, तब वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं। उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। वे नंगे पैर चलती हैं। उनकी इस तपस्या के कारण उनका स्वरूप बहुत शांत और सौम्य है। कहते हैं कि उनकी इस तपस्या से तीनो लोक कांप उठे थे।

पूजा का महत्व और लाभ

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में तप, वैराग्य और त्याग का भाव आता है। यह देवी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं, इसलिए इनकी पूजा से मंगल दोष से भी मुक्ति मिलती है।

जो भक्त सच्चे मन से इनकी आराधना करता है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति का आत्म-विश्वास बढ़ता है और वह अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर पाता है।

शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:30 से 5:15 बजे तक (सबसे पवित्र समय)
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:50 से 12:40 बजे तक (दिन का शुभ समय)
  • विजय मुहूर्त: शाम 4:15 से 5:05 बजे तक (सफलता दिलाने वाला समय)
  • रात्रि पूजा मुहूर्त: रात 8:00 से 9:30 बजे तक (विशेष रात्री पूजा का समय)

कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के साथ-साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। पूजा के लिए कुछ आवश्यक नियम हैं, जिन्हें जानकर आप अपनी पूजा को और भी फलदायी बना सकते हैं:

  • सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग बहुत प्रिय है। इसलिए उन्हें चमेली के फूल, चावल और चंदन चढ़ाएं।
  • मां को दूध, दही, शहद और विशेष प्रकार की मिठाई का भोग लगाएं।

मंत्र जाप

  • ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।

पूजा विधि

  • कलश की पूजा करें और फिर मां ब्रह्मचारिणी और भगवान शिव की मूर्ति को स्थापित करें।
  • पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद को जरूरतमंद लोगों में बांटें।

यह भी जानें

माता ब्रह्मचारिणी के तप का एक और रोचक किस्सा है। जब वे भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं, तब उन्होंने कई हजार वर्षों तक बिना कुछ खाए-पिए तपस्या की। उनकी इस तपस्या से देव, ऋषि-मुनि और सभी देवी-देवता आश्चर्यचकित रह गए थे।

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