कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक चलता है भीष्म पंचक
Bhishma Panchak, (आज समाज), नई दिल्ली: पंचक एक ऐसी अवधि है जिसे धार्मिक और ज्योतिष की दृष्टि से अशुभ माना जाता है। हर महीने 5 दिनों के लिए पंचक रहते हैं, जिनमें कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। वहीं, भीष्म पंचक को धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता गया है। भीष्म पंचक कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक चलने वाले पांच दिनों का एक पवित्र काल है, जिसे विष्णु पंचक भी कहा जाता है। चलिए आपको बताते हैं भीष्म पंचक का महत्व और इस व्रत के लाभ।

भीष्म पंचक क्या होते हैं

भीष्म पंचक को विष्णु पंचक भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग कार्तिक मास के व्रत नहीं कर पाते हैं, वे कार्तिक मास के अंतिम 5 दिनों के दौरान व्रत रख सकते हैं और इससे उन्हें पूरे कार्तिक माह के व्रत का लाभ मिलता है। इस दौरान महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक भीष्म पितामह के सम्मान में उपवास, पूजा-पाठ और दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भीष्म पंचक में व्रत करने से आध्यात्मिक लाभ और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भीष्म पंचक कब से होगा शुरू

भीष्म पंचक को पंच भीखम के नाम से भी जाना जाता है, जो कि हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होता है और पूर्णिमा पर समाप्त होता है। इस बार 2025 में भीष्म पंचक व्रत 1 नवंबर से शुरू होगा और 5 नवंबर को समाप्त होगा।

भीष्म पंचक क्यों मनाया जाता है?

कार्तिक मास के अंतिम 5 दिनों में पितामह भीष्म ने अपनी देह त्यागने से पहले उपवास किया था। यह चातुर्मास के अंत में आता है और इसे मोक्ष की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। मुख्य रूप से भीष्म पंचक व्रत भीष्म पितामह के स्मरण में मनाया जाता है और माना जाता है कि जो लोग पूरे कार्तिक मास का व्रत नहीं कर पाते, उन्हें भीष्म पंचक का व्रत करने से पूरे महीने का पुण्य मिल जाता है।

भीष्म पंचक का महत्व

  • भीष्म पितामह को सम्मान: यह उन पांच दिनों का प्रतीक है जब महाभारत के बाद भीष्म पितामह ने बाणों की शैय्या पर अपने प्राण त्यागने की तैयारी के दौरान व्रत किया था।
  • कार्तिक मास का विशेष काल: कार्तिक मास के अंतिम पांच दिन बहुत पुण्यदायी माने जाते हैं और भीष्म पंचक इस अवधि का सबसे पवित्र हिस्सा होते हैं।
  • आध्यात्मिक लाभ: कहते हैं कि इस दौरान किए गए उपवास, पूजा और दान से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है।
  • मोक्ष प्राप्ति: धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस पंचक काल में की गई तपस्या से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

भीष्म पंचक के नियम

  • कार्तिक शुक्ल एकादशी से ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद भीष्म पंचक व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • कुछ लोग इन पांच दिनों तक विशेष उपवास रखते हैं और सिर्फ हविष्य (शुद्ध भोजन) ग्रहण करते हैं।
  • भीष्म पंचक के दौरान दूध और तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है।
  • इस दौरान भीष्म पितामह का तर्पण भी किया जाता है।
  • इस दौरान आकाश दीपक लगाना शुभ माना जाता है।
  • भीष्म पंचक में भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

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