नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
Maa Shailputri Puja, (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। साल में चार बार आने वाली नवरात्रि में शारदीय नवरात्रि को सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरूआत 22 सितंबर, सोमवार से हो रही है। पहले दिन देवी के मां शैलपुत्री की विशेष पूजा का विधान है।

मां स्कंदमाता को संतान सुख देने वाली देवी माना गया है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए अत्यंत शुभ है। सही विधि से पूजा करने पर मां की कृपा से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

मां शैलपुत्री का स्वरूप

  • मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं।
  • इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है।
  • मां नंदी बैल पर सवार रहती हैं।
  • इन्हें प्रकृति और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।
  • मां शैलपुत्री की पूजा से मनुष्य को स्थिरता, आत्मविश्वास और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

पूजा विधि

  • प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को शुद्ध करके चौकी पर लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाएं।
  • मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • कलश स्थापना कर उस पर नारियल और आम्रपल्लव रखें।
  • मां को सिंदूर, अक्षत, रोली, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
  • मां को घी से बने व्यंजन और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
  • मां की आरती करें और परिवार के कल्याण की प्रार्थना करें।

मां शैलपुत्री का मंत्र

  • पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • ॐ देवी शैलपुत्र्यै नम: ॥
  • इस मंत्र का 108 बार जप करने से माता का आशीर्वाद मिलता है।

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व

  • पूजा करने से जीवन में स्थिरता और सफलता प्राप्त होती है।
  • पितृ दोष और चंद्रमा से जुड़ी समस्याओं का निवारण होता है।
  • व्यक्ति के मन में आत्मविश्वास और साहस का संचार होता है।
  • माता के आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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