जीवामृत पूरी तरह से नेचुरल और देसी आॅर्गेनिक
Jeevamrit Benefits, (आज समाज), नई दिल्ली: जीवामृत पूरी तरह से नेचुरल और देसी आॅर्गेनिक सॉल्यूशन है जिसे मिट्टी की फर्टिलिटी को बेहतर बनाने और फसलों को हेल्दी बनाए रखने के लिए बनाया गया है। यह मिट्टी के माइक्रोआॅर्गेनिज्म को तेजी से बढ़ाता है, जिससे पौधों को न्यूट्रिएंट्स आसानी से मिल जाते हैं। किसान इसे केमिकल फर्टिलाइजर का सस्ता और सुरक्षित आॅप्शन मानते हैं।
जीवामृत क्या है?
जीवामृत गाय आधारित जैविक खाद है, जिसमें गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी जैसे प्राकृतिक तत्व मिलाए जाते हैं। जब यह मिश्रण कुछ दिनों तक खमीर उठाता है, तो इसमें सूक्ष्मजीवों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। यही सूक्ष्मजीव मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं और फसल को मजबूत करते हैं।
जीवामृत के फायदे
- मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाता है: जीवामृत मिट्टी में मौजूद जीवाणुओं को बढ़ाकर उसकी गुणवत्ता सुधारता है। इससे खेत धीरे-धीरे खुद से उर्वर बन जाता है।
- रासायनिक खाद का विकल्प: यह बिल्कुल देसी और सस्ता विकल्प है, जिससे किसान की लागत कम होती है और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है।
- बीज और पौधों की तेजी से बढ़ोतरी: सूक्ष्मजीव पौधों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, जिससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं और उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद: जीवामृत मिट्टी की संरचना सुधारता है, जिससे मिट्टी में नमी लंबे समय तक रहती है।
जीवामृत बनाने के लिए सामग्री
- ताजा गाय का गोबर-10 किलो
- गोमूत्र- 3 लीटर
- गुड़- 2 किलो
- बेसन- 2 किलो
- बरगद/खेत की मिट्टी- 1-2 किलो
- साफ पानी- लगभग 170-190 लीटर
जीवामृत बनाने का आसान तरीका
- ड्रम में पानी भरें: सबसे पहले बड़े ड्रम का आधा हिस्सा पानी से भर लें।
- घोल तैयार करें: अब पानी में गोबर डालकर अच्छी तरह घोलें। इसके बाद गुड़ और बेसन डालकर मिलाएँ, फिर गोमूत्र डालें।
- मिट्टी मिलाएं: अब खेत या बरगद की मिट्टी डालें। यह मिट्टी सूक्ष्मजीवों को बढ़ाने का काम करती है।
- घोल को खमीर उठने दें: ड्रम को आधा ढका रखें और इस मिश्रण को 48 घंटे तक खमीर उठने दें।
- रोज घोल को हिलाएं: सुबह और शाम, दिन में कम से कम 2 बार मिश्रण को एक ही दिशा में हिलाएँ। झाग और हल्की खुशबू किण्वन की सही प्रक्रिया का संकेत है।
- 4-5 दिन बाद तैयार: 4-5 दिन बाद घोल पतला और मुलायम हो जाता है। अब इसे छानकर खेत में छिड़काव या सिंचाई के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
सस्ता, असरदार और पूरी तरह से नैचुरल
जीवामृत खेती की सेहत के लिए अमृत जैसा है-सस्ता, असरदार और पूरी तरह से नैचुरल। इसका रेगुलर इस्तेमाल मिट्टी को फिर से जिंदा करता है, फसलों को मजबूत बनाता है और किसानों की लागत कम करता है। अगर आप आॅर्गेनिक खेती शुरू करना चाहते हैं, तो जीवामृत से बेहतर कोई जगह नहीं है।


