अनाज की रानी के नाम से भी जाना जाता मक्की को
Makka Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: मक्का दूसरे स्तर की फसल है, जो अनाज और चारा दोनों के लिए प्रयोग की जाती है। मक्की को अनाज की रानी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि बाकी फसलों के मुकाबले इसकी पैदावार सब से ज्यादा है। इससे भोजन पदार्थ भी तैयार किए जाते हैं जैसे कि स्टार्च, कॉर्न फ्लैक्स और गुलूकोज आदि।
यह पोल्टरी वाले पशुओं की खुराक के तौर पर भी प्रयोग की जाती है। मक्की की फसल हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है क्योंकि इसे ज्यादा उपजाऊपन और रसायनों की जरूरत नहीं होती। इसके इलावा यह पकने के लिए 3 महीने का समय लेती है जो कि धान की फसल के मुकाबले बहुत कम है, क्योंकि धान की फसल पकने के लिए 145 दिनों का समय लेती है।
इन राज्यों में की जाती है मक्का की खेती
मक्की की फसल उगाने से किसान अपनी खराब मिट्टी वाली जमीन को भी बचा सकते हैं, क्योंकि यह धान के मुकाबले 90 प्रतिशत पानी और 79 प्रतिशत उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखती है। यह गेहूं और धान के मुकाबले ज्यादा फायदे वाली फसल है। इस फसल को कच्चे माल के तौर पर उद्योगिक उत्पादों जैसे कि तेल, स्टार्च, शराब आदि में प्रयोग किया जाता है।
मक्की की फसल उगाने वाले मुख्य राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और पंजाब हैं। दक्षिण में आंध्रा प्रदेश और कर्नाटक मुख्य मक्की उत्पादक राज्य हैं।
भूमि की तैयारी
- मिट्टी: दोमट या बलुई दोमट मिट्टी मक्के के लिए सबसे अच्छी होती है, जहाँ पानी का जमाव न होता हो।
- खेत की जुताई: खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी और समतल हो जाए।
- खाद: बुवाई से पहले खेत में अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
- बुवाई का समय: मक्का खरीफ (बरसात), रबी और जायद (गर्मी) तीनों मौसम में बोया जाता है, लेकिन जून-जुलाई में खरीफ मक्के की बुवाई सबसे ज्यादा होती है।
- बीज का चयन: रोग और कीट मुक्त प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें।
- दूरी: पौधों के बीच 8-10 इंच और पंक्तियों के बीच 18-24 इंच की दूरी रखें।
- गहराई: बीजों को 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए।
पलेवा
- बुवाई से पहले खेत में पलेवा करना जरूरी है, ताकि बीज का अंकुरण अच्छा हो सके।
- बुवाई के समय यूरिया, डीएपी, एसएसपी और एमओपी जैसी खादें डालें।
- फसल के विकास के दौरान समय-समय पर यूरिया, जिंक सल्फेट और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की खाद दें।
- खाद देते समय उसे पौधों की जड़ों से कुछ दूरी पर ही डालना चाहिए और हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
- मक्के को समय-समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- गर्मियों में 10-12 दिनों के अंतराल पर और अन्य मौसमों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
- खेत में पानी का जमाव नहीं होना चाहिए, इसलिए जल निकासी की अच्छी व्यवस्था रखें।
खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन
- बुवाई के बाद खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए उचित दवाओं का छिड़काव करें।
- कीटों से बचाव के लिए समय पर कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
- मक्के की फसल आमतौर पर 90 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती।
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