कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं किसान
Garlic Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: लहसुन एक ऐसी फसल है, जिसका इस्तेमाल हर घर में मसाले के तौर पर किया जाता है। इसकी खेती करना बेहद आसान है। लहसुन की खेती के लिए अच्छी मिट्टी का चुनाव करना बेहद जरूरी है। वैसे लहसुन को लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी बेस्ट मानी है। लहसुन की खेती से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। खास बात यह है कि अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से लहसुन की खेती करें तो उनके लिए लहसुन फायदे का सौदा हो सकता है।

लहसुन कई दवाइयों में प्रयोग किए जाने वाले तत्व हैं। इसमें प्रोटीन, फासफोरस और पोटाशियम जैसे स्त्रोत पाए जाते हैं। यह पाचन क्रिया में मदद करता है और मानव रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है। बड़े स्तर पर लहसुन की खेती मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, महांराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में की जाती है।

मिट्टी

इसे किसी भी तरह की हल्की से भारी जमीनों में उगाया जा सकता है। गहरी मैरा, अच्छी जल निकास वाली, पानी को बांध कर रखने वाली और अच्छी जैविक खनिजों वाली जमीन सब से अच्छी रहती है। नर्म और रेतली जमीनें इसके लिए अच्छी नहीं होती क्योंकि इसमें बनी गांठे जल्दी खराब हो जाती हैं। जमीन का पी एच 6-7 होना चाहिए।

जमीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत को 3-4 बार जोताई करें और मिट्टी में जैविक खनिजों को बढ़ाने के लिए रूड़ी की खाद डालें। खेत को समतल करके क्यारियों और खालियों में बांट दें।

बिजाई का समय

बिजाई के लिए सही समय सितंबर के आखिरी सप्ताह से अक्तूबर का पहला सप्ताह माना जाता है।

फासला

पौधे से पौधे का फासला 7.5 सैं.मी. और कतारों में फासला 15 सैं.मी. रखें।

बीज की गहराई

लहसुन की गांठों को 3-5 सैं.मी. गहरा और उसका उगने वाला हिस्सा ऊपर की तरफ रखें।

बिजाई की विधि

इसकी बिजाई के लिए केरा ढंग का प्रयोग करें। बिजाई हाथों से या मशीन से की जा सकती है। लहसुन की गांठों को मिट्टी से ढककर हल्की सिंचाई करें।

बीज की मात्रा

225-250 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें।

बीज का उपचार

प्रति किलो बीज को थीरम 2 ग्राम+ बैनोमाईल 50 डब्लयु पी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी से उपचार कर उखेड़ा रोग और कांगियारी से बचाया जा सकता है। रासायनिक उपचार के बाद बायो एजेंट ट्राइकोडरमा विराइड 2 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार करने की सिफारिश की गई है। इससे नए पौधों को मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है।

खाद

बिजाई से 10 दिन पहले खेत में 2 टन रूड़ी की खाद डालें। 50 किलो नाइट्रोजन (110 किलो यूरिया) और 25 किलो फासफोरस (155 किलो एस एस पी) प्रति एकड़ डालें। सारी एस एस पी बिजाई से पहले और नाइट्रोजन तीन हिस्सों में बिजाई के 30, 45 और 60 दिन बाद डालें। फसल को खेत में लगाने के 10-15 दिन बाद 19:19:19 और सूक्ष्म तत्व 2.5-3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

खरपतवार नियंत्रण

शुरू में लहसुन का पौधा धीरे धीरे बढ़ता है। इसलिए नदीन नाशकों का प्रयोग गोडाई से बढ़िया रहता है। नदीनों को रोकने के लिए पैंडीमैथालीन 1 लीटर प्रति 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में डालकर बिजाई से 72 घंटो में स्प्रे करें। इसके बिना नदीन नाशक आॅक्सीफ्लोरफेन 425 मि.ली. प्रति 200 लीटर पानी में डालकर स्प्रे बिजाई के 7 दिन बाद करें। नदीनों की रोकथाम के लिए 2 गोडाई की जरूरत है। पहली गोडाई बिजाई से 1 महीने बाद और दूसरी गोडाई बिजाई के 2 महीने बाद करें।

सिंचाई

वातावरण और मिट्टी की किस्म के आधार पर सिंचाई करें। बिजाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और आवश्यकता के आधार पर 10-15 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

हानिकारक कीट और रोकथाम

  • थ्रिप्स: यदि इस कीड़े को ना रोका जाये तो लगभग 50 प्रतिशत तक पैदावार कम हो जाती है और यह शुष्क वातावरण में आमतौर पर आता है। यह पत्ते का रस चूसकर उसे ठूठी के आकार का बना देता है।

    इसे रोकने के लिए नीले चिपकने वाले कार्ड 6-8 प्रति एकड़ लगाएं। यदि खेत में इसका नुकसान ज्यादा हो तो फिप्रोनिल 30 मि.ली. को प्रति 15 लीटर पानी या प्रोफेनोफॉस 10 मि.ली. या कार्बोसल्फान 10 मि.ली. + मैनकोजेब 25 ग्राम को प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर 8-10 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करें।

    सफेद सुंडी: इस सुंडी का हमला जनवरी-फरवरी के महीने में होता है और यह जड़ों को खाती है और पत्तों को सुखा देती है।

    इसे रोकने के लिए कार्बरील 4 किलाग्राम या फोरेट 4 किलोग्राम मिट्टी में डालकर हल्की सिंचाई करें या क्लोरपाइरीफॉस 1 लीटर को प्रति एकड़ में पानी और रेत में मिलाकर डालें।

कटाई

यह फसल बिजाई के 135-150 दिनों के बाद या जब 50 प्रतिशत पत्ते पीले हो जायें और सूख जायें तब कटाई की जा सकती है। कटाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें। पौधों को उखाड़ कर छोटे गुच्छों में बांधे और 2-3 दिनों के लिए खेत में सूखने के लिए रख दें। पूरी तरह सूखने के बाद सूखे हुए तने काट दें और गांठों को साफ करें।