Lalu Yadav Family Feud :  लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य हाल ही में पारिवारिक कलह के कारण सुर्खियों में रही हैं। लेकिन अब तक, उन्हें हमेशा यादव परिवार की भाग्यशाली बेटी माना जाता था – लाड़-प्यार, सम्मान और बेहद खास माना जाता था।

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, रोहिणी की जन्म कथा ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ी हुई है। उनका जन्म 5 जनवरी 1980 को पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। हिंदू परंपरा में, जन्म नक्षत्र बच्चे के स्वभाव, भविष्य और यहाँ तक कि उसके नाम को भी प्रभावित करता है। इसे गंभीरता से लेते हुए, परिवार ने उसका नाम तय करने से पहले ज्योतिषियों से सलाह ली।

रोहिणी नाम के पीछे ज्योतिषीय कारण

उनके जन्म के समय, ज्योतिषियों ने रोहिणी नक्षत्र का प्रबल प्रभाव देखा, जिसे समृद्धि, कृपा, बुद्धिमत्ता और नेतृत्व गुणों का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष में हमेशा से रुचि रखने वाले लालू प्रसाद यादव ने इस सलाह को तहे दिल से स्वीकार किया और अपनी बेटी का नाम रोहिणी रखा।

उनका जन्म एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दौर में हुआ। उस समय, लालू यादव जनता पार्टी के एक प्रमुख नेता के रूप में बिहार की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहे थे। ऐसे तनावपूर्ण माहौल में, रोहिणी के जन्म को परिवार के लिए एक सकारात्मक और शुभ घटना के रूप में देखा गया।

ज्योतिषियों के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला बच्चा परिवार में एकता और स्थिरता लाता है – यादव परिवार इस भविष्यवाणी को बहुत महत्व देता था।

‘रोहिणी आचार्य’ उनकी विशिष्ट पहचान कैसे बनी?

परिवार के जानकारों का कहना है कि ‘आचार्य’ उपनाम विशिष्ट ज्योतिषीय और पारंपरिक कारणों से अपनाया गया था। ज्योतिषियों का मानना ​​था कि उनके नाम में ‘आचार्य’ जोड़ने से आध्यात्मिक संतुलन बढ़ेगा और परिवार में सामंजस्य आएगा। यह संयोग उनके नक्षत्र और जीवन पथ के लिए शुभ माना जाता था।

रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव से अक्सर उनमें सौम्यता, करुणा, भावनात्मक मजबूती और एक पालन-पोषण करने वाले स्वभाव जैसे गुण विकसित होते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई गुण उनके जीवन में बाद में भी दिखाई दिए – खासकर जब उन्होंने 2022 में अपने पिता को किडनी दान करने का असाधारण निर्णय लिया, जिससे उन्हें व्यापक सम्मान और स्नेह मिला।

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