Kumaraswamy’s anger over social media: कुमारस्वामी का सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

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बेंगलुरु। कर्नाटक में अब तक विश्वासमत पर बहस खत्म नहीं हुई है। इस बहस के दौरान आज मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने अपना पूरा गुस्सा सोशल नेटवर्किंग साइटस पर निकाला। उन्होंने कहा कि यह केवल हमारे समाज को बर्बाद करने और हमारे देश को खराब करने के लिए लाया गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी विधान सौदा में विश्वामत पर बहस के दौरान अपनी बात रखते हुए सोशल मीडिया को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा- “साल 2004 में आज की तरह ही, किसी के पास बहुमत नहीं था। मैं विपक्ष के नेताओं से यह कहना चाहता हूं कि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं से यह कहना चाहिए, जो सोशल मीडिया को चीजें शेयर कर रहे हैं। सोशल मीडिया हमारे समाज को बर्बाद करने के लिए लाया गया है। कुमारस्वामी ने आगे कहा- “सोशल मीडिया पर लोग यह कह रहे हैं कि मैं ताज वेस्ट एंड में रह रहा हूं और जनता को लूट रहा हूं। मैं वहां क्या लूटूंगा? मैं इसके लिए तैयार हो रहा था। मैं सरकार को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहा था क्योंकि इस सदन के कई नए नेताओँ ने मुझसे सरकार बचाने को कहा था।

न्यायालय ने अध्यक्ष के कथन को ध्यान में रखते हुये सुनवाई टाली

उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के कथन का संज्ञान लेते हुये मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वमाी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर तत्काल मतदान के लिये दो निर्दलीय विधायकों की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई स्थगित कर दी। अध्यक्ष की ओर से न्यायालय को सूचित किया गया कि सदन में आज शाम तक मतदान होने की उम्मीद है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के इस कथन का संज्ञान लिया कि आज शाम तक मतदान होने की संभावना है। पीठ ने निर्दलीय विधायकों की याचिका पर सुनवाई बुधवार के लिये स्थगित कर दी। ये विधायक चाहते हैं कि अध्यक्ष को सदन में तत्काल विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान कराने का निर्देश दिया जाये। दो निर्दलीय विधायक-आर शंकर और एच नागेश-ने कांग्रेस-जद(एस) सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। इन दोनों विधायकों ने शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा था कि 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के अल्पमत में आने से राज्य में राजनीतिक संकट गहरा गया है। इन विधायकों का कहना है, ह्यह्यसरकार के अल्पमत में होने के बावजूद विश्वास मत हासिल करने में विलंब किया जा रहा है। हम कहना चाहते हैं कि एक अल्पमत सरकार, जिसके पास बहुमत का समर्थन नहीं है, उसे सत्ता में बने रहने की अनुमति क्यों दी जा रही है।ह्णह्ण इन विधायकों ने कहा है कि कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने संविधान के अनुच्छेद 175 (2) के अंतर्गत सदन को संदेश भेजकर विश्वास मत की कार्यवाही पूरा करने के लिये कहा लेकिन इसका पालन नहीं किया गया और विश्वास प्रस्ताव पर अंतहीन बहस जारी है।

विधायकों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक गतिरोध का लाभ उठा रही है और पुलिस अधिकारियों, आईएएस अधिकारियों तथा अन्य अधिकारियों का तबादला करने जैसे अनेक अहम निर्णय ले रही है। राज्यपाल पर विश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान सदन की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुये कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव द्वारा शीर्ष अदालत में आवेदन दायर करने के दो दिन बाद निर्दलीय विधायकों ने भी शीर्ष अदालत की शरण ली थी। कुमारस्वामी और गुंडू राव ने शुक्रवार को अलग-अलग आवेदन दायर करके शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि इन 15 बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता।

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