Annapurna Jayanti: जानें क्यों भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से मांगा था भिक्षा में अन्न?

0
67
Annapurna Jayanti: जानें क्यों भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से मांगा था भिक्षा में अन्न?
Annapurna Jayanti: जानें क्यों भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से मांगा था भिक्षा में अन्न?

मां पार्वती ने संसार के पोषण हेतु देवी अन्नपूर्णा का लिया था रूप
Annapurna Jayanti, (आज समाज), नई दिल्ली: मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (अन्नपूर्णा जयंती) का पावन पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी शुभ तिथि पर मां पार्वती ने संसार के पोषण और संरक्षण के लिए माता अन्नपूर्णा का दिव्य स्वरूप धारण किया था। देवी अन्नपूर्णा को भोजन, समृद्धि और अन्न की अधिष्ठात्री माना गया है, और उनकी आराधना करने से घर में कभी भी अन्न, धन-धान्य, सौभाग्य और पोषण की कमी नहीं रहती।

इस वर्ष यह शुभ दिन 4 दिसंबर 2025 को पड़ रहा है। जो भक्तों के लिए विशेष सौभाग्य, पुण्यफल और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने वाला माना जा रहा है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई पूजा घर-परिवार में स्थायी समृद्धि और मंगल ऊर्जा का संचार करती है।

भगवान शिव ने क्यों मांगी थी भिक्षा?

धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि एक समय भगवान शिव ने संसार को यह संदेश देने का मन बनाया कि भोजन के बिना जीवन संभव नहीं है। वे तपस्या, वैराग्य और मोह से मुक्त रहने का उपदेश तो देते रहे, पर यह भी आवश्यक था कि लोग समझें शरीर को टिकाए रखने के लिए अन्न ही सबसे बड़ा आधार है। कथा के अनुसार, एक दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि संसार मिथ्या है और भोजन का कोई वास्तविक महत्व नहीं है। यह सुनकर माता पार्वती अप्रसन्न हुईं। उन्होंने संसार को शिक्षा देने के लिए अन्न को ही लुप्त कर दिया।

कुछ ही समय में धरती पर भयंकर अकाल छा गया। लोग भूख से व्याकुल होने लगे और स्वयं भगवान शिव भी अन्न के अभाव से अत्यंत कष्ट में पड़ गए। तब भगवान शिव ने माता के अन्नपूर्णा स्वरूप का दर्शन किया और उनके सामने भिक्षा पात्र बढ़ाकर विनम्रता से अन्न के लिए याचना की। उसी दिव्य क्षण माता अन्नपूर्णा ने शिवजी के पात्र में अन्न प्रदान किया और दुनिया में पुन: भोजन, पोषण और समृद्धि वापिस आ गई। इस घटना के माध्यम से भगवान शिव ने संसार को यह अमूल्य संदेश दिया अन्न ही जीवन का आधार है, और उसका सम्मान करना ही सबसे बड़ा धर्म है।

मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के उपाय

  • अन्न दान और जरूरतमंदों को भोजन कराना: मां अन्नपूर्णा के समक्ष अन्नदान अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इससे जीवन में अन्न, समृद्धि और कृपा बनी रहती है और घर में कभी अभाव नहीं होता।
  • रसोई की स्वच्छता बनाए रखना: मां अन्नपूर्णा को स्वच्छता अत्यंत प्रिय है। प्रतिदिन रसोई साफ रखना, व्यवस्थित रखना और शुद्ध मन से भोजन बनाना देवी की विशेष कृपा आकर्षित करता है।
  • घर में अन्नपूर्णा स्तोत्र या मंत्र का पाठ: ॐ अन्नपूर्णे सदापूर्णे मंत्र का नियमित जप घर में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और समृद्धि का संचार करता है तथा परिवार पर देवी की कृपा बनाए रखता है।
  • गरीब, भूखे और पशुओं को भोजन कराना: भूखे मनुष्य या पशु को भोजन कराना मां अन्नपूर्णा के प्रिय कार्यों में से है। ऐसा करने से करुणा बढ़ती है और देवी का आशीष जीवन में फलित होता है।
  • भोजन का सम्मान और व्यर्थ न करना: भोजन को ईश्वर का प्रसाद मानकर आदर करना चाहिए। अन्न को कभी व्यर्थ न करें, क्योंकि उसका सम्मान करना ही देवी अन्नपूर्णा की आराधना का सबसे बड़ा रूप है।