कन्या पूजन को माना गया है बहुत ही शुभ और पुण्यदायी
Kanya Pujan, (आज समाज), नई दिल्ली: इस समय शारदीय नवरात्र का 9 दिवसीय पर्व चल रहा है, जो कि 2 अक्टूबर को समाप्त होगा। नवरात्र के 9 पावन दिनों के दौरान माता रानी की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है। इस दौरान कन्या पूजन को बहुत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है। नवरात्र में कन्या पूजन किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से लोग अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का आयोजन करते हैं।

कहते हैं कि नवरात्र में अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि में कन्या पूजा का क्या महत्व है और कन्या पूजन करते समय किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।

घर-परिवार में आती है सुख-समृद्धि

कन्या पूजन, नवरात्र के दौरान किया जाने वाला एक विशेष अनुष्ठान है, जिसमें 2 से 10 साल की उम्र की कन्याओं (लड़कियों) की पूजा की जाती है। कन्या पूजन के दौरान उनका सम्मानपूर्वक पूजन करके उन्हें भोजन और दक्षिणा दी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि कन्या पूजन से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्र में कन्या पूजन इसलिए किया जाता है, क्योंकि मान्यता है कि ये 9 कन्याएं देवी दुर्गा के ही 9 रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। कहते हैं कि कन्या पूजन से घर में सुख, शांति, समृद्धि आती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कन्याओं को देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक माना गया

कन्या पूजन में अलग-अलग उम्र की कन्याओं को देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक माना जाता है जैसे 2 वर्ष की कन्या कुमारी कहलाती हैं और उनकी पूजा से दरिद्रता दूर होती है। जबकि 9 वर्ष की कन्या दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं, जिनकी पूजा से सभी विघ्न बाधाएं दूर होती हैं। कन्या पूजन में भैरव बाबा का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक लड़के को भी कन्या पूजन में शामिल किया जाता है।

कन्या पूजन में लांगुर का क्या महत्व है?

कन्या पूजन में लांगुर (एक बालक) को भैरव बाबा या हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है और उनके बिना यह पूजा अधूरी मानी जाती है। कन्या पूजन में लांगुर को लंगूर भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह भैरव बाबा माता दुर्गा के पहरेदार हैं, उसी प्रकार कन्या पूजन में उन्हें भी सम्मान दिया जाता है और उनके पूजन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

कन्या पूजन के क्या नियम हैं?

कन्या पूजन के दौरान कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए जैसे कि देवी स्वरूप मानी जाने वाली 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को सम्मानपूर्वक आमंत्रित करना, उनके पैर धोकर आसन पर बिठाना, तिलक लगाकर आरती उतारना, पारंपरिक भोग (पूरी, हलवा, चना) खिलाना और उपहार देना आदि।

पूजा के बाद उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस दौरान कन्याओं के प्रति मन में सम्मान और प्रेम रखना चाहिए और किसी भी प्रकार के अपमानजनक या बुरे व्यवहार से बचना चाहिए।

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