छठ महाव्रत में शुद्धता और सुचिता का रखना चाहिए विशेष ध्यान
Chhath Puja Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: सूर्य उपासना के महापर्व छठ की छठा पूरे देश में दिखाई दे रही है। इस महापर्व के दौरान कुंड, सरोवर और नदी किनारे महिलाएं पूजन करती है और आज इस महापर्व के आखरी दिन अगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। बिहार से लेकर यूपी और दिल्ली समेत कई राज्यों में इस महापर्व की खासी रंगत दिखती है।

बदलते दौर में भीड़-भाड़ से दूर लोग अपने घर के छतों पर भी लोग सहूलियत के हिसाब से पूजा कर रहे हैं। छत पर ही वेदी और कृत्रिम कुंड बनाकर छठी मैया की पूजा महिलाएं करती हैं। घर के छत पर छठ की पूजा करना कितना सही है। शास्त्रों में इसके क्या नियम है? आइए जानते हैं।

कुंड बनाने के बाद जरुर करें ये काम

सनातन धर्म में ये विधान है कि आप जिस भी जगह सच्चे मन से देवी देवताओं का आह्वान करते है वो वहां अदृश्य रूप में मौजूद रहते हैं। ऐसे में यदि छत पर कृत्रिम कुंड बनाकर उसमें जल भरकर गंगा जल या किसी भी पवित्र नदी के जल की कुछ बूंदे उसमें डालते है तो वो कुंड भी उस पवित्र नदी के समान ही हो जाता है। उसके बाद वहां वायु देवता का आह्वान भी करना चाहिए। ऐसा करने से छत पर भी पूजा करने और अर्ध्य देने वालों को इस महाव्रत का पूरा फल मिलता है।

शुद्धता और सुचिता का रखें विशेष ध्यान

गौरतलब है कि छठ के महाव्रत में शुद्धता और सुचिता का विशेष ख्याल रखना चाहिए। यह व्रत सबसे कठिन व्रत में से एक है। इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। नहाय खाय से इस पर्व की शुरूआत होती है और फिर चौथे दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देकर इस व्रत का समापन होता है। यह पूजा विशेष तौर पर प्रकृति की पूजा है। कलयुग में एकमात्र सूर्य देवता ही ऐसे देवता है जिनके साक्षात दर्शन होते हैं।

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