हनुमानजी को माना गया है कलियुग का सबसे पूर्ण देवता
Hanuman Puja, (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी सात दिन किसी न किसी देवता को समर्पित हैं। ज्योतिष हो या धर्म, हनुमानजी की पूजा का विशेष महत्व है। मंगलवार को बजरंग बली के भक्त पूरे मन और श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं। कहा जाता है कि जिस संकट को कोई टाल नहीं सकता उसे संकटमोचन हनुमान जी टाल देते हैं।

धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति मंगलवार के दिन विधि-विधान से भगवान हनुमान जी की पूजा करता है और उन्हें चोला चढ़ाता है, उसे बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन हनुमान जी की पूजा कब करनी चाहिए सुबह या शाम? आइए जानते हैं इसके बारे में।

हनुमान जी के बिना प्रभु श्री राम की प्राप्ति असंभव

इस संसार में हनुमान जी को भगवान श्री राम का परम सेवक और अनन्य भक्त माना जाता है। हनुमान जी भगवान श्री राम की सेवा में समर्पित थे। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम से पहले हनुमान जी की पूजा की जानी चाहिए। हनुमान जी के बिना प्रभु श्री राम की प्राप्ति असंभव है। कहते हैं कलियुग में जब भी श्री राम का नाम लिया जाता है या मुल्ला रामायण का पाठ किया जाता है तो हनुमान जी स्वयं उपस्थित होकर सुनते हैं। हनुमान जी को कलियुग का सबसे पूर्ण देवता माना जाता है।

पूजा का सही समय

हनुमान जी स्वयं सुबह से लेकर पूरा दिन भगवान श्री राम की सेवा में बिताते हैं, इसलिए पारंपरिक रूप से हनुमान जी की पूजा शाम को होती है। इसका मतलब यह है कि हनुमान जी की पूजा हमेशा शाम के समय करनी चाहिए क्योंकि हनुमान जी स्वयं सुबह भगवान श्री राम की पूजा में व्यस्त रहते हैं।

ऐसा माना जाता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से साधक की परेशानियां दूर हो जाती हैं और उसका जीवन बेहतर हो जाता है। उसी समय मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इस दिन “ॐ श्री हनुमंते नम:” मंत्र का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें हनुमान जी की पूजा

  • हनुमान जी की पूजा करते समय धूप, दीप, लाल फूल, फल, सिंदूर आदि चढ़ाएं।
  • इसके बाद हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें।
  • हनुमान जी की सेवा में सुन्दर काण्ड का पाठ करना बहुत महत्वपूर्ण है।
  • आरती के साथ पूजा समाप्त करें और हनुमान जी से प्रार्थना करें कि वे आपको सुख, समृद्धि, बल, बुद्धि, ज्ञान और शक्ति प्रदान करें।

हनुमान जी की आरती

  1. आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
    जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
  2. अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
    दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
  3. लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
    लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥
  4. लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥
    पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
  5. बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥
    सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥
  6. कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥
    जो हनुमान जी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥