मां लक्ष्मी की पूजा करते है व्यवसाय से जुड़े लोग
Labh Panchami, (आज समाज), नई दिल्ली: पंचांग के अनुसार लाभ पंचमी का पर्व हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी पर मनाया जाता है। इस दिन को सौभाग्य पंचमी या ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। भारत के अधिकतर राज्यों खासकर गुजरात में इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। लाभ पंचमी के दिन व्यवसाय से जुड़े लोग मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से बहीखातों और लेखा-जोखा आदि की पूजा की जाती है।

माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से साधक के सौभाग्य में वृद्धि होती है और उसे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। इतना ही नहीं, दिन को किसी नए काम की शुरूआत के लिए शुभ माना गया है। चलिए पढ़ते हैं लाभ पंचमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

लाभ पंचमी का शुभ मुहूर्त

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 26 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त 3 बजकर 48 मिटन पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 27 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 4 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस बार लाभ पंचमी रविवार, 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

  • लाभ पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 29 मिनट से सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक

लाभ पंचमी का महत्व

लाभ पंचमी का पर्व दीपावली के पांचवें पड़ता है। यह तिथि व्यवसायी लोगों के लिए खास महत्व रखती है। नई दुकान, व्यवसाय या फैक्ट्री शुरू करने के लिए इस दिन को अत्यंत शुभ माना गया है। इसी के साथ लाभ पंचमी पर नए खाता-बही का शुभारंभ करना भी काफी शुभ माना गया है।

इस दिन नए बहीखातों पर शुभ-लाभ और स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर उनका उद्घाटन भी किया जाता है। कई साधक इस दिन पर व्रत भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे आगामी वर्ष में व्यापार में वृद्धि के योग बनते हैं। साथ ही लाभ पंचमी की पूजा से व्यापार में उन्नति, सौभाग्य, परिवार में सुख-शांति और सभी प्रकार के कष्टों के निवारण होता है।

लाभ पंचमी की पूजा विधि

लाभ पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पूजा स्थल पर भगवान गणेश, शिव जी और देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी को चंदन, सिंदूर, फूल और दूर्वा आदि अर्पित करें। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, धतूरे के फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करें। लक्ष्मी जी की पूजा में हलवा और पूड़ी का भोग लगाएं और समृद्धि व सफलता की प्रार्थना करें। अंत में आरती करें और सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें।

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