मां दुर्गा की उपासना का पर्व है नवरात्र
Difference Between Sharadiya And Chaitra Navratri,(आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा करने का विधान है। नवरात्र साल में 4 बार आते है। चैत्र और शारदीय के अलावा साल में 2 बार गुप्त नवरात्र भी आते है। हालांकि चैत्र और शारदीय नवरात्र का अपना ही एक अलग महत्व है। दोनों की नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना की जाती है, लेकिन दोनों की उत्सव का स्वरूप और रंग अलग है,। आइए जानते हैं दोनों नवरात्रियों का अंतर और महत्व।
चैत्र नवरात्र
- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाए जाते है।
- इस नवरात्र से हिंदू नववर्ष की भी शुरूआत होती है।
- इस समय प्रकृति में नई ऊर्जा और जीवन का संचार होता है।
- चैत्र नवरात्र को विशेष रूप से साधना, तपस्या और आत्मिक शुद्धि के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
- रामनवमी (भगवान श्रीराम का जन्मदिन) चैत्र नवरात्र की नवमी को ही मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्र
- आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाए जाते है।
- इसे महानवरात्र भी कहा जाता है और यह साल की सबसे प्रमुख नवरात्र माना जाता है।
- इस समय फसल कटने का मौसम और शरद ऋतु का आगमन होता है7
- शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार और पूर्वी भारत में किया जाता है।
- विजयादशमी (दशहरा) इसी नवरात्र की समाप्ति पर मनाई जाती है।
दोनों में अंतर
- चैत्र नवरात्र वसंत ऋतु में, शारदीय नवरात्र शरद ऋतु में आते है।
- चैत्र नवरात्रि में रामनवमी, शारदीय नवरात्रि में विजयादशमी मनाई जाती है।
- चैत्र नवरात्र साधना और आत्मशुद्धि, शारदीय नवरात्र शक्ति और विजय की आराधना का पर्व है।
- शारदीय नवरात्र अधिक भव्य और व्यापक स्तर पर मनाए जाते है।
महत्व
दोनों ही नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की उपासना की जाती है। यह एक पावन अवसर होता है जहां मां के नौ दुर्गा को पूजते हैं। चैत्र नवरात्र जहां साधना, आत्मशुद्धि और नए साल की शुरूआत का प्रतीक है, वहीं शारदीय नवरात्र शक्ति, विजय और महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा के महाकाव्य युद्ध की याद दिलाता है।