शास्त्रों में अगहन को माना गया सर्वश्रेष्ठ महीना
Margashirsha Amavasya, (आज समाज), नई दिल्ली: मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और प्रभावशाली मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 19 नवंबर 2025 से प्रारंभ होकर 20 नवंबर 2025 को दोपहर 12:16 बजे तक रहेगी। अमावस्या की यह तिथि पितृ-तर्पण, दान, जप और विष्णुलक्ष्मी उपासना के लिए विशेष फलदायी समय मानी गई है। शास्त्रों में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास को मासानां मार्गशीर्षोऽहम् अर्थात् महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं कहकर इसे सर्वश्रेष्ठ महीनों में स्थान दिया है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
अमावस्या तिथि पितरों के निमित्त श्रेष्ठ मानी गई है और जब यह तिथि मार्गशीर्ष मास में आती है तो इसका फल अनेक गुना बढ़ जाता है। धर्मशास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन तर्पण, पिंडदान और दीपदान करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और घर-परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक पितृ-कार्य करता है, उसके जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और मानसिक स्थिरता की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी नारायण की पूजा का भी विशेष महत्व
इसके साथ ही इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा का भी विशेष महत्व है। वैष्णव परंपरा के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की अर्चना करने से परिवार में समृद्धि, सौभाग्य और धन-वृद्धि का योग बनता है। इस अमावस्या पर किए गए दान विशेषकर अन्न, वस्त्र, तिल और दीपदान को शास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
मार्गशीर्ष मास को क्यों कहा गया सर्वश्रेष्ठ?
मार्गशीर्ष मास का नाम मृगशिरा नक्षत्र पर आधारित है। इस मास की पूर्णिमा के समय चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में स्थित रहते हैं इसलिए इसका नाम मार्गशीर्ष पड़ा। शास्त्रों और पुराणों में इसे पवित्रता, तपस्या और साधना का महीना कहा गया है। ऋषि-मुनि इस मास में जप, ध्यान, यज्ञ और दान को अत्यंत शुभ बताते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश
इस मास में कई महत्वपूर्ण धार्मिक घटनाएं भी घटित हुई हैं। गीता जयंती इसी महीने की एकादशी को मानी जाती है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया। माना जाता है कि मार्गशीर्ष में की गई साधना मन को अधिक स्थिरता प्रदान करती है और ईश्वर की प्राप्ति के मार्ग को सरल बनाती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर किए जाने वाले धार्मिक कार्य
- प्रात:काल स्नान कर मन और शरीर की शुद्धि करें।
- तिल मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और दीपदान अवश्य करें।
- संध्या समय घर की उत्तर दिशा में दीप जलाएं।
- काले तिल, गुड़, अन्न और गर्म वस्त्र का दान शुभ माना गया है।
- गाय, कुत्तों और पक्षियों को भोजन कराएं।
- ॐ पितृदेवाय नम: का जप करने से पितृ-आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- शाम को घर में शांति पाठ या सरल मंत्र-जप करना अत्यंत फलदायी होता है।
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