सही तरीके से खेती करने पर दो से तीन महीने में ली जा सकती है अच्छी उपज
Capsicum Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: शिमला मिर्च, मिर्ची की एक प्रजाति है जिसका इस्तेमाल सब्जी की तरह किया जाता है। अंग्रेजी में इसे कैप्सिकम और बेल पेपर भी कहा जाता है। यह कई रंगों में आती है जैसे लाल और पीली। शिमला मिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए व अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते है।
यदि शिमला मिर्च की खेती सही तरीके से की जाए तो दो से तीन महीने में अच्छी उपज ली जा सकती है। भारत में शिमला मिर्च की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल आदि हैं। वैसे, अब लगभग पूरे भारत में शिमला मिर्च की खेती की जाने लगी है।
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
शिमला मिर्च की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ अच्छी मात्रा में मौजूद हो और जल निकासी भी बेहतर हो तो शिमला मिर्च की खेती से अच्छी उपज मिलती है।
शिमला मिर्च की खेती का समय
शिमला मिर्च की खेती साल में 3 बार की जा सकती है। इसकी पहली बुवाई जून से जुलाई तक, दूसरी बुवाई अगस्त से सितंबर और तीसरी बुवाई नवंबर से दिसंबर तक की जा सकती है। आपको बता दें कि शिमला मिर्च में रोपाई के लगभग 70 से 75 दिन बाद फल आने लगते हैं।
जलवायु
शिमला मिर्च की फसल के लिए नर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पौधे अधिक सर्दी और गर्मी को सहन नही कर पाते हैं। शिमला मिर्च की खेती में तापमान अधिक या कम होने पर पैदावार पर असर हो सकता है।
बता दें कि शिमला मिर्च के बीज के अंकुरण के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस, पौधे की अच्छी बढ़त के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस और फलों के उचित विकास और परिपक्वता के लिए लगभग 31 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। वैसे, इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 10 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते हैं।
ऐसे तैयार करें नर्सरी
शिमला मिर्च की नर्सरी बनाने के लिए अच्छी भूमि का चयन करें, जहां पूरे दिन में कम से कम 6 से 7 घंटे सूर्य प्रकाश आए। अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी का चयन करें, जो अच्छी ड्रेनेज प्रणाली वाली हो। इसके बाद, चयनित भूमि में उचित मात्रा में आॅर्गेनिक खाद डालें। अब अच्छी गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का चयन करें।
बीज का उपचार करके बुवाई करें
बुवाई से पहले बीज को पानी में लगभग 12 से 15 घंटे के लिए भिगोकर रखें। इसके बाद, बीज का उपचार करके बुवाई करें। ध्यान रहे कि बीजों को 1 से 2 इंच की गहराई में लगाएं और उनके बीच में 2 से 4 इंच की दूरी जरूर रखें।
सिंचाई का रखे विशेष ध्यान
शिमला मिर्च के बीज की बुआई करने के बाद खेत की हल्की सिंचाई करें, और जरूरत पड़ने पर बाद में भी पानी देते रहें। लेकिन ध्यान रहे कि नर्सरी को हमेशा गीला न रखें, क्योंकि इससे पौधे खराब हो सकते हैं। जब पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाए, तब खेत में इसकी रोपाई कर सकते हैं।
रोपाई
शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई से पहले खेत की अच्छे से 2 से 3 बार गहरी जुताई करवा लें। इसके बाद खेत में गोबर की खाद डालें। इसके बाद एक बार फिर से जुताई करें, इससे खाद अच्छे से मिट्टी में मिल जायेगी। अब खेत में क्यारियां बना लें और शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई करें। रोपाई के समय पौधे से पौधे की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर रखें। शिमला मिर्च के पौधे की रोपाई के तुरंत बाद ही हल्की सिंचाई करें, इससे खेत में नमी बनी रहेगी।
सिंचाई
शिमला मिर्च की फसल में गर्मियों में 4 से 5 दिन और सर्दियों में लगभग 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। जानकारी के लिए बता दे कि ड्रिप विधि द्वारा पौधों की सिंचाई करने से इसके बीजों के बहने का खतरा नही रहता है, और पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी भी मिल जाता है।
उर्वरक
शिमला मिर्च के पौधे की रोपाई से पहले खेत की तैयारी करते समय वर्मी कम्पोस्ट खाद या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। रासायनिक उर्वरक नाइट्रोजन 50 किलोग्राम, फास्फोरस 25 किलोग्राम और पोटेशियम 12 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुपात में डालें। बाद में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन को दो भागो में बांटकर रोपाई के 30 तथा 55 दिनों के बाद डालें।