निष्ठा और नियमपूर्वक पूजा और व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण होते है प्रसन्न
Janmashtami Special, (आज समाज), नई दिल्ली: आज जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत वर्ष में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने से पुण्य फल ही प्राप्ति होती है। पूरी निष्ठा और नियमपूर्वक पूजा और व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते। जो भी इंसान इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करता है उसका मनोकामना पूर्ण होती है। जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
हालांकि जन्माष्टमी का व्रत बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें पूरे दिन उपवास रखना होता है। इस दिन श्रद्धालु निर्जल या फलाहार व्रत कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। अंत में बात आती है व्रत के समापन यानी की पारण की। व्रत का पारण भी सही समय पर और पूरी विधि के अनुसार किया जाना चाहिए। तभी आपकी पूजा सफल होती है। आज हम आपको बताएंगे व्रत के सही पारण की विधि और समय
व्रत के पारण का शुभ समय
कई श्रद्धालु रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव और पूजा के बाद व्रत खोल लेते हैं। यह तब उपयुक्त होता है जब अष्टमी तिथि अगले दिन सुबह तक रहती है। शास्त्रों में वर्णन है कि व्रत अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद ही तोड़ना श्रेष्ठ है।
साल 2025 में अष्टमी तिथि 16 अगस्त की रात 9:34 बजे समाप्त होगी। इस समय के बाद पारण किया जा सकता है। कुछ भक्त रोहिणी नक्षत्र के अंत के बाद व्रत खोलते हैं। 2025 में यह नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 4:38 बजे से शुरू होकर 18 अगस्त को सुबह 3:17 बजे समाप्त होगा।
पारण की विधि, केवल सात्त्विक भोजन ग्रहण करें
व्रत खोलने से पहले भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा, भोग और आरती करें। माखन-मिश्री, पंजीरी और फल आदि का भोग भगवान को लगाएं। पारण के बाद केवल सात्त्विक भोजन ग्रहण करें, जिसमें प्याज, लहसुन या तामसिक पदार्थ न हों।
क्षमता अनुसार दान अवश्य करें
व्रत खोलने के बाद अपनी क्षमता अनुसार दान-पुण्य अवश्य करें। पारण करते समय मन में लगातार कान्हा का स्मरण करते रहें।
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