महाकाल की नगरी उज्जैन में आयोजित किया जाएगा हरि-हर मिलन का पर्व
Harihar Milan, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में हरि-हर मिलन का पर्व विशेष और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व की धूम विशेषकर महाकाल की नगरी कही जाने वाली उज्जैन में देखने को मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन पर बाबा महाकाल, जगत के पालनहार भगवान विष्णु से मिलने गोपाल मंदिर जाते हैं। साथ ही उनको जगत संचालन का भार सौंपते हैं, तो चलिए इस खास पर्व के बारे में जानते हैं।

कल मनाया जाएगा पर्व

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इसी दिन पर महाकाल की नगरी यानी उज्जैन में हरि-हर मिलन का पर्व आयोजित किया जाता है। इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर को रात 9 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 4 नवंबर को शाम 06 बजकर 06 मिनट पर मिनट पर होगा। ऐसे में हरि-हर मिलन उत्सव कल यानी 3 नवंबर को मनाया जाएगा।

क्यों मनाया जाता है ये पर्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं और विश्रम करते हैं। माना जाता है कि इस दौरान जगत का संचालन भगवान शिव करते हैं। चातुर्मास के समय में सनातन धर्म में विवाह समेत कोई भी मांगलिक काम नहीं किया जाता। वहीं देवउठनी एकादशी पर भगवान चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं। इसके बाद ही चातुर्मास का समापन हो जाता है।

महादेव पर चढ़ाई जाती है तुलसी की माला, भगवान विष्णु अर्पित किया जाता है बेलपत्र

चातुर्मास के समापन और भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागने के बाद इस अवसर पर महादेव उन्हें पुन: जगत के संचालन का भार सौंप देते हैं। ये एक ऐसा विशेष दिन माना जाता है, जब तुलसी और बेलपत्र की माला का आदान-प्रदान किया जाता है। यह एकमात्र ऐसा दिन है जब महादेव पर तुलसी चढ़ाई जाती है और भगवान विष्णु को बेलपत्र अर्पित किया जाता है।

करें ये काम

बैकुंठ चतुर्दशी यानी हरि-हर मिलन के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन ऐसा करना धर्म शास्त्रों में शुभ बताया गया है। इस दिन व्रत और रात्रि जागरण भी किया जाता है। भगवान विष्णु और महादेव के मंत्रों का जाप भी इस दिन किया जाता है। ऐसा करने वालों को भगवान विष्णु और महादेव से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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