पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है पितृ पक्ष का समय
Pitru Paksha Pinddaan, (आज समाज), नई दिल्ली: पितृ पक्ष का समय पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको कितनी पीढ़ियों के पूर्वजों के लिए पिंडदान करना है, यह तय करने के बाद ही पिंड दान की संख्या निर्धारित की जाती है। आम तौर पर तीन पीढ़ियों के लिए तीन पिंड दान किए जाते हैं, लेकिन पांच या सात पीढ़ियों के लिए भी संख्या बढ़ाई जा सकती है।

विशेष रूप से पितृ पक्ष में या गया जैसे पवित्र स्थानों पर भी पिंडदान होता है, जहां 16 पिंड दान करने का भी विधान है। मृत्यु के बाद 10 दिन तक मृतक का पिंड दान भी किया जाता है।

पिंड दान की संख्या क्यों और कैसे तय होती है

  • पीढ़ियों की संख्या: पिंडदान की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितनी पीढ़ियों के लिए पिंड दान कर रहे हैं। आम तौर पर, तीन पीढ़ियों के पूर्वजों (पिता, दादा, परदादा) के लिए तीन पिंड दान किए जाते हैं।
  • विशेष परिस्थितियां: विशेष परिस्थितियों में पांच पीढ़ियों (पिता, दादा, परदादा, महान दादा, महान-महान दादा) के लिए पांच पिंड दान किए जाते हैं। सात पीढ़ियों के लिए भी यह संख्या बढ़ाई जा सकती है।
  • गया तीर्थ का महत्व: गया जैसे पवित्र स्थानों पर पिंडदान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि वहां डेढ़ महीने तक रहने से सात पीढ़ी तक के पितरों का उद्धार हो जाता है, इसलिए वहां रोजाना पिंडदान करने का भी विधान है।
  • मृत्यु के बाद की प्रक्रिया: मृत्यु के बाद 10 दिन तक मृतक के लिए पिंड दान किया जाता है। कुल मिलाकर, मृत्यु के 11वें दिन, अगले दो मासों में प्रत्येक मास, और 12 मासों की समाप्ति पर एक अंतिम पिंड दान से ये संस्कार पूरे होते हैं, जिनकी कुल संख्या 16 हो सकती है।

पिंड दान के लाभ

  • पितरों की तृप्ति: पिंडदान पूर्वजों की आत्माओं की तृप्ति के लिए किया जाता है।
  • मोक्ष की प्राप्ति: यह पूर्वजों को मोक्ष दिलाने का एक साधन है।
  • पितृ दोष से मुक्ति: पितृ पक्ष में पिंडदान करने से पितृ दोष से जुड़ी मुश्किलों का निवारण होता है।
  • समृद्धि और सफलता: पितरों की पूजा से आयु, पुत्र, यश, कीर्ति, सुख-सौभाग्य और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

सामान्य रूप से पिंडों की संख्या

  • तीन पिंड: यह सबसे आम तरीका है, जिसमें पिता, दादा और परदादा (तीन पीढ़ी) के लिए पिंड बनाए जाते हैं।
  • सात पिंड: कुछ परंपराओं में सात पिंड बनाने का विधान है, जिसमें एक पिंड मृत आत्मा के लिए होता है और बाकी पूर्वजों की विभिन्न पीढ़ियों के लिए होते हैं।

इन बातों का भी रखें ध्यान

  • सामग्री: पिंड आमतौर पर चावल, गेहूं या अन्य अनाज के आटे, दूध, शहद और तिल को मिलाकर बनाए जाते हैं।
  • उद्देश्य: पिंड दान का मुख्य उद्देश्य पूर्वजों की आत्माओं को शांति पहुंचाना और उनकी आध्यात्मिक तृप्ति सुनिश्चित करना है।
  • गया में महत्व: गया में पिंडदान का विशेष महत्व है, जहां मान्यता है कि पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।

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