भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही बाधाएं होती हैं दूर
Ganesh Visarjan, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी के पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। अबकी बार 6 सितंबर यानी की आज अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा और इस दिन विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव 2025 का समापन भी हो जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेशजी का विसर्जन किया जाता है। गणेश विसर्जन का क्षण खुशी और उदासी का मिला जुला मिश्रण होता है।
गणेशजी के भक्त चतुर्थी तिथि को घर और पंडाल में बप्पा को लाते हैं और 10 दिन तक पूजा अर्चना करते हैं और चतुर्दशी तिथि के दिन विसर्जन कर दिया जाता है। लेकिन कई बार विसर्जन वाले दिन काम इतने ज्यादा होते हैं कि जाने अनजाने में कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जिससे 10 दिन की पूजा का फल नहीं मिल पाता। इसलिए विसर्जन के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
गणेश विसर्जन के नियम
- गणेश विसर्जन के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें।
- देसी घी दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें।
- फल और मोदक का भोग लगाएं। प्रभु से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
- इसके बाद टप में जल भरें और गंगाजल और फूल डालें।
- अब गणपति बप्पा से जाने-अनजाने में हुई गलती क्षमा-याचना मांगे।
- इसके बाद गणपति बप्पा को विसर्जित करें।
- प्रभु से अगले साल जल्द आने की कामना करें।
- गणेश विसर्जन के समय काले रंग के कपड़ें धारण न करें।
- गणेश विसर्जन की मिट्टी और जल को पेड़-पौधें डाल दें।
- किसी से वाद-विवाद न करें।
- किसी के बारे में गलत न सोचें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- गणेश विसर्जन के दौरान बप्पा को 5 मोदक चढ़ाएं और इसे सभी भक्तों में बांटें।
- घर में ही साफ बर्तन या बाल्टी में पानी भरकर पर्यावरण के अनुकूल ही विसर्जन करें। बाद में इस पानी को किसी पेड़ के नीचे या पौधों में डाल दें।
- विसर्जन से पहले 3 बार घड़ी की दिशा में परिक्रमा लगाएं। इस के बाद बप्पा का विसर्जन भक्ति और आनंद के साथ गणपति बप्पा मोरया, पूधच्या वर्षी लवकर या या गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ जैसे जयकारे लगाएं।
- समृद्धि के लिए मूर्ति पर अक्षत चढ़ाएं और उनके हाथों पर थोड़ा दही मलें।
- गणपति जी का विसर्जन हमेशा अपने हाथों से पानी में जाकर करें। न कि किसी पूल से नीचे गिराकर।
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