(आज समाज), बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सिद्दारमैया सरकार को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आज राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें उसने राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों पर रोक लगाने की बात कही थी। इसके बाद अब आरएसएस यानी संघ कर्नाटक में सरकारी परिसरों में अपने कार्यक्रम आयोजित कर सकेगा। उसे इसके लिए किसी तरह की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
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सरकार ने कर दिया था अनुमति लेना अनिवार्य
सिद्दारमैया सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अगर आरएसएस राज्य में किसी भी सरकारी परिसर अथवा निजी संगठनों के परिसर में कोई कार्यक्रम आयोजित करना चाहता है तो संगठनों के मालिकों को इसके लिए पहले अनुमति लेनी होगी। सरकार ने अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था। सरकार के इस आदेश को संघ की गतिविधियों को टारगेट करने वाला फैसला माना जा रहा था। हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया था कि यह निर्णय किसी विशेष संगठन को निशाना बनाने के लिए नहीं लिया गया है।
पुनश्चैतन्य सेवा संस्था ने दी थी चुनौती
पुनश्चैतन्य सेवा संस्था ने सिद्दारमैया सरकार के निर्देश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस नागप्रसन्ना की संगल-जज बेंच ने आज मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी। अगली सुनवाई 17 नवंबर को तय की गई है। पुनश्चैतन्य सेवा संस्था ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि सरकार के इस कदम से निजी संगठनों के कानूनी तौर पर काम करने के अधिकारों की अवहेलना होती है।
एचके पाटिल ने निशाना बनाने से किया था इंकार
राज्य सरकार के निर्देश के बाद जब इस तरह के आरोप लगाए गए कि सरकार ने राज्य में संघ की गतिविधियों रोकने के मकसद से यह निर्देश दिए है तो कर्नाटक के संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने स्पष्ट किया था कि सरकार ने यह फैसला किसी खास संगठन को निशाना बनाने के लिए नहीं किया है। उन्होंने कहा था कि सरकारी अथवा संस्थागत संपत्ति का इस्तेमाल केवल सही उद्देश्य और सही इजाजत के लिए किया जाएगा। एचके पाटिल ने कहा था कि किसी तरह के उल्लंघन पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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