इस दिन की जाती है भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा
Kalashtami, (आज समाज), नई दिल्ली: रविवार 14 सितंबर को आश्विन माह की कालाष्टमी है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता के लिए कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है।

कालाष्टमी पर शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा। साथ ही आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। इस दिन दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

पूजा का शुभ समय

अष्टमी तिथि 14 सितंबर 2025 को सुबह 5:04 बजे शुरू होगी। अष्टमी तिथि 15 सितंबर को रात 3:06 बजे समाप्त होगी। मध्य रात्रि 11:53 बजे से 12:40 बजे के बीच का निशिता मुहूर्त पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

कालाष्टमी की पूजा विधि

  • कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इसके बाद दीपक जलाकर काल भैरव देव की पूजा-अर्चना करें।
  • काल भैरव देव की आरती करें और मंत्रों का जप करें।
  • काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
  • फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • प्रभु से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
  • अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान गरीब लोगों में करें।

ऐसे करें महादेव को प्रसन्न

अगर आप वास्तु दोष का सामना कर रहे हैं, तो कालाष्टमी के दिन घर डमरू लाएं। इसके बाद कालाष्टमी की पूजा के समय डमरू बजाएं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और वास्तु दोष दूर होता है।

भैरव देव मंत्र

  • ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।
  • ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष।

ये भी पढ़ें : पितृ पक्ष में शनिवार के दिन करें यें खास उपाय