- बिहार में सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे 23 चर्चित चेहरे
आज समाज नेटवर्क, पटना: Journey Of All Bihar CM: बिहार में विधानसभा चुनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। 14 नवंबर को नतीजे आने के साथ यह तय हो जाएगा कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी और कौन इसका सारथी होगा। यानी, बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? मुख्यमंत्री पद की बात हो ही रही है तो आइये जानते है कि अब तक बिहार में कितने मुख्यमंत्री रहे हैं। कौन बिहार का सबसे युवा मुख्यमंत्री रहा है? मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाला सबसे उम्रदराज चेहरा कौन सा है? किस मुख्यमंत्री का कार्यकाल सबसे लंबा रहा है तो कौन सबसे कम वक्त तक इस पद पर रह पाया? कितनी महिलाएं इस पद पर रहीं? इसके तहत नीतीश कुमार और राबड़ी देवी की भी चर्चा होगी।
अब तक कुल 23 चेहरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके
सात बार प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लगा
सतीश प्रसाद सिंह केवल चार दिन के लिए बिहार के सीएम
जन क्रांति दल के महामाया प्रसाद सिन्हा बिहार के पांचवें मुख्यमंत्री बने। बीपी मंडल सरकार में मंत्री पद चाहते थे, लेकिन लोहिया इसके सख्त खिलाफ रहे। आखिरकार बीपी मंडल संसोपा से अलग हुए और अपना अलग शोषित दल बना लिया। सतीश प्रसाद सिंह ने भी विरोध शुरू किया। इसका फायदा बीपी मंडल को हुआ। सतीश प्रसाद सिंह और बीपी मंडल ने जोड़तोड़ के जरिए संयुक्त विधायक दल सरकार से करीब 20-30 नेताओं को तोड़ भी लिया।
आखिरकार 1968 में विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ। सीएम महामाया गठबंधन को अपने साथ नहीं रख पाए और सरकार गिर गई। शोषित दल के बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल ने अपने करीबी सतीश प्रसाद सिंह का नाम अंतरिम तौर पर आगे कर दिया, ताकि जब बीपी मंडल कहें तब एसपी सिंह इस्तीफा दे दें और मंडल बिहार के सीएम बन सकें। सांसद बीपी मंडल को 29 जनवरी को विधान परिषद भेजा गया और 1 फरवरी 1968 को बिहार में बीपी मंडल के नेतृत्व में सरकार बन गई। सतीश प्रसाद सिंह इस सरकार में मंत्री बने। इस तरह बिहार में चार दिन के मुख्यमंत्री की कहानी का अंत हुआ।
बिहार के सबसे लंबे और सबसे ज्यादा बार सीएम रहने वाले नीतीश कुमार भी सबसे कम दिनों तक सीएम रहने वालों की कतार में भी शामिल हैं। साल 2000 में पहली बार नीतीश कुमार केवल सात दिन के लिए मुख्यमंत्री पद पर रहे। फरवरी 2000 में बिहार में चुनाव हुए तब बिहार और झारखंड एक ही थे। नतीजों में राजद को 124 सीटें मिली, लेकिन यह बहुमत से कम थी।
भजपा को 67 समता पार्टी को 34 सीटें मिली और कांग्रेस को 23 सीटें मिली। इसके बाद भाजपा और समता पार्टी ने एक साथ आकर सरकार बनाने का दावा किया। नीतीश कुमार एनडीए सरकार में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार बहुमत नहीं जुटा पाई और नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी।
भोला पासवान ने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उनके इस तीनों कार्यकाल को मिला भी दें तो भी वे एक वर्ष पूरा नहीं कर पाए। उनका दूसरा काल केवल 22 जून 1969 से 4 जुलाई 1969 तक यानी 12 दिनों का ही था। जो की उनके दो और कार्यकालों में सबसे छोटा था। 1968 में मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री 99 दिन पद पर रहे थे। उनके इस्तीफे के बाद बिहार में अगले आठ महीने राष्ट्रपति शासन लगा रहा। इसके बाद चुनाव हुए तो फिर से किसी दल को बहुमत नहीं मिला।
अब तक के सबसे लंबे समय तक सीएम
एक बार फिर नीतीश कुमार सीएम बने। अगस्त 2022 में, कुमार ने एनडीए छोड़ दिया और महागठबंधन में फिर से शामिल हो गए। जनवरी 2024 में, नीतीश कुमार ने एक बार फिर महागठबंधन छोड़ दिया और एनडीए में शामिल हो गए। कुल मिलाकर नीतीश इस पद पर 19 साल से ज्यादा वक्त तक रह चुके हैं।
बिहार के सबसे लंबे समय तक सीएम बनने वालों में नीतीश कुमार के बाद श्री कृष्ण सिंह का नाम आता है। वह एक ऐसे राजनेता थे जो आजादी के पहले से बिहार के प्रीमियर रहे। 1937 में, जब अंग्रेजों ने धीरे-धीरे राज्यों की सत्ता में भारतीयों को जगह देना शुरू किया तो बिहार में कांग्रेस सत्ता में आई।
श्रीकृष्ण सिन्हा इस प्रांत के प्रीमियर बने। उन्होंने 20 जुलाई 1937 को पटना में, भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत, अपने कैबिनेट का गठन किया। कृष्ण सिन्हा ने 1937 से 1952 तक राज्य के प्रीमियर रहे। 1952 से 1961 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वह 1961 तक यानी वह नौ वर्ष बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे।
सबसे कम समय तक के लिए सीएम रहने के साथ-साथ, सतीश प्रसाद का नाम बिहार सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर लिया जाता है। वह मात्र 32 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री बने थे। खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड में स्थित कोरचक्का गांव में 1 जनवरी 1936 को जमीनदार परिवार में इनका जन्म हुआ था। मात्र 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने 1962 में अपने जिले में आने वाली परबत्ता विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़ने की ठानी। पहली बार उन्हें चुनाव में कांग्रेस की लक्ष्मी देवी के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
इस सीट पर 1964 में लक्ष्मी देवी के निधन के बाद फिर उपचुनाव भी हुए। सतीश प्रसाद सिंह ने फिर जमीन का एक टुकड़ा बेचकर चुनाव लड़ा। इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर और फिर हारे। दो हार ने उनके हौसले को नहीं तोड़ा। बताया जाता है कि वे अगले चुनाव तक परबत्ता में ही टिके रहे। 1967 में जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए तो सतीश प्रसाद सिंह को परबत्ता सीट से संसोपा ने टिकट पर जीते। इसके बाद वह 1968 में चार दिनों के मुख्यमंत्री भी बने। उस वक्त उनकी उम्र 32 साल थी।
सबसे युवा मुख्यमंत्रियों में सूची दूसरे स्थान पर कर्पूरी ठाकुर हैं। वह 46 वर्ष की उम्र में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। जनहित के कार्यों के कारण जनमानस उन्हें ‘जननायक’ कह कर पुकारता है। वह 22 दिसंबर 1970 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने हिंदी को राजभाषा बनाया और वृद्धावस्था पेंशन शुरू की। 2024 में जब नीतीश ने नौवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।