जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है जितिया व्रत
Jitiya Vrat Bhog, (आज समाज), नई दिल्ली: जितिया व्रत को बहुत ही शुभ माना गया है। यह तीन दिनों तक चलता है और इसमें निर्जला उपवास का विधान है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह व्रत आज यानी की 14 सितंबर को रखा जा रहा है। इस व्रत में पूजा के साथ-साथ प्रसाद का भी खास महत्व है। कुछ ऐसे पारंपरिक भोग हैं, जिनके बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है। इन खास भोग को प्रसाद में शामिल करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है, तो आइए इन दिव्य भोग के बारे में जानते हैं।

ठेकुआ

ठेकुआ जितिया व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक प्रसाद है। ठेकुआ न केवल पूजा का अहम हिस्सा है, बल्कि यह प्रसाद के रूप में भी प्रमुख है। मान्यता है कि ठेकुआ भगवान जीमूतवाहन को विशेष रूप से प्रिय है। इसे प्रसाद में शामिल करने से व्रत सफलतापूर्वक पूरा होता है और संतान पर भगवान की कृपा बनी रहती है।

पूड़ी और खीर

पूड़ी और खीर का भोग लगभग हर शुभ कार्य में शामिल किया जाता है। जितिया व्रत के प्रसाद में भी इनका खास स्थान है। पूड़ी और खीर का भोग लगाने से जीमूतवाहन खुश होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

फल और मिठाई

फलों का प्रसाद भी जितिया व्रत का एक अहम हिस्सा है। व्रत में मौसमी फल जैसे सेब, केला, नाशपाती और अनार चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, कोई भी पारंपरिक मिठाई जैसे लड्डू, पेड़ा या बर्फी भी प्रसाद में शामिल की जा सकती है। फल और मिठाई का भोग लगाने से पूजा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

प्रसाद बनाने में न करें ये गलतियां

  • प्रसाद हमेशा साफ-सुथरे और पवित्र हाथों से बनाना चाहिए।
  • प्रसाद बनाने में लहसुन, प्याज या किसी भी तामसिक सामग्री का उपयोग न करें।
  • प्रसाद में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री अच्छी होनी चाहिए।
  • प्रसाद बनाने के बाद इसे सबसे पहले भगवान को अर्पित करें।

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