- आईपीएस सुसाइड मामले में जींद बार एसोसिएशन ने की निष्पक्ष जांच की मांग
Jind News (आज समाज) जींद। एडीजीपी आत्महत्या मामले में निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर सोमवार को तहसीलदारों ने सामूहिक रूप से अवकाश ले लिया। इसके कारण एक भी रजिस्टरी नही हुई। जिले में सोमवार को 450 रजिस्टरी अटक गई। जिसके कारण आम लोगों को बैरंग ही लौटना पड़ा। सोमवार को दो दिन अवकाश के बाद तहसील कार्यालय खुला था। इसको लेकर रजिस्टरी करवाने को लेकर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। सुबह करीब दस बजे ही लोगों की तहसील कार्यालय में लाइन लगनी शुरू हो गई थी। जैसे ही उन्हें पता चला कि तहसीलदार और नायब तहसीलदार अवकाश पर हैं।
15 वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रताडि़त करने के आरोप
इसलिए आज एक भी रजिस्टरी नहीं होगी। इसके बाद लोगों को मायूस होकर बैरंग ही घर लौट गए। पिछले दिनों वरिष्ठ आईपीएस एडीजीपी वाई पूरन ने चंडीगढ़ में अपने आवास पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके पर आठ पेज का सुसाइड भी छोड़ा था। जिसमें प्रदेश के 15 वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रताडि़त करने के आरोप लगाए थे। जिला राजस्व अधिकारी राजकुमार ने बताया कि सोमवार को तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने सामूहिक रूप से अवकाश लिया है। यह अवकाश एडीजीपी वाई पूरन आत्महत्या मामले के विरोध में लिया गया था। सोमवार को जिले में एक भी रजिस्टरी नहीं हो पाई है।
आईपीएस सुसाइड मामले में जींद बार एसोसिएशन ने की निष्पक्ष जांच की मांग
आईपीएस वाई पूरन सिंह सुसाइड मामले को लेकर जींद बार एसोसिएशन ने सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। बार एसोसिएशन का कहना है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच सीबीआई या हाई कोर्ट के सिटिंग जज से करवाई जाए ताकि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और न्याय तथा निष्पक्षता की भावना पर खतरा नहीं आए। जिला बार एसोसिएशन के सदस्य सोमवार को जिला बार में एकत्रित हुए।
यहां एसोसिएशन के जिला प्रधान विकास लोहान, विशाल खटकड़, अजय बूरा, संदीप कौशिक, विजय सोलंकी, शक्तिवीर, मंजीत, प्रशांत साहू ने कहा कि हरियाणा में वाई पूरन कुमार की खुदकुशी दुखद घटना है। इस घटना से पूरा प्रदेश व समाज का हर व्यक्ति आहत है। इस घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मामले को जातिगत रंग न दिया जाए। पीडि़त परिवार को न्याय मिलना चाहिए और पूरे समाज में छत्तीस बिरादरी का भाईचारा बना रहे।
सरकार बिना किसी दबाव के सत्य तक पहुंचे
विकास, विशाल ने कहा कि वह न्यायपालिका का सम्मान करते हैं लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की जांच सही तरीके से होनी चाहिए। इसमें दोषी को बख्शा न जाए लेकिन निर्दोष को भी सजा नहीं मिलनी चाहिए। मीडिया, जनता और सरकार बिना किसी दबाव के सत्य तक पहुंचे। किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। वह किसी पर आरोप नहीं लगा रहे हैं कि कौन सही और कौन गलत है लेकिन जब तक निष्पक्षता से जांच नहीं हो जाती और निष्कर्ष नहीं निकल जाताए तब तक किसी पर आरोप लगाना गलत है। इसके अलावा जो भी कार्रवाई हो कानून के तहत होनी चाहिए।
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