- निर्जला एकादशी को पानी पिला मिलता है पुण्य : नवीन शास्त्री
(Jind News) जींद। जिलाभर में शुक्रवार को निर्जला एकादशी का पर्व श्रद्धा से मनाया गया। शहर में सामाजिक संगठनों व समाजसेवियों द्वारा लगभग 150 अलग-अलग जगहों पर मीठे पानी की छबीलें लगाई गई। कार्यकर्ताओं ने राहगीरों के अलावा वाहनों को रोक-रोक कर पानी पिलाया। कहीं-कहीं मीठे जल के अलावा तरबूज, खरबूजे को भी प्रशाद के रूप में वितरित किया गया। शहर में कोई ऐसी सड़क या चौक नही था, जहां मीठे पानी की छबीन समाजसेवियों, युवाओं द्वारा न लगाई गई।
बच्चे भी राहगीरों तथा वाहन चालकों को रोक-रोक कर पानी पिला रहे थे। रानी तालाब पर युवाओं ने निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर ठंडे पानी की छबील लगाई गई। युवाओं ने मिल कर आने-जाने वाले सभी राहगीरों को पानी पिलाया। युवाओं ने कहा कि यह एकादशी का पर्व केवल पानी पिलाने तक सीमित नही है बल्कि संपूर्ण समाज को यह सीख देता है कि हमें हमेशा दूसरों की सहायता के लिए हर पल तत्पर रहना चाहिए। यह पर्व एक-दूसरे के अंदर सहयोग की भावना जगाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी को पानी पिला कर सेवा करना पुण्य का भागीदार माना जाता
इस तरह की पहल समाज में नैतिक मूल्यों को विकसित करती है और युवाओं के अंदर सद्भावना की प्रेरणा को जगाने में सक्षम होती है। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी को पानी पिला कर सेवा करना पुण्य का भागीदार माना जाता है और इस से स्वर्ग की प्राप्ती होती है। यूं तो साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं लेकिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है। इस एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जानते हैं।
एकादशी पर हस्त नक्षत्र और व्यतीपात योग का संयोग रहा
इस बार एकादशी पर हस्त नक्षत्र और व्यतीपात योग का संयोग रहा। जो श्रद्धालुओं के लिए बेहद शुभकारी रहा। श्रद्धालु इसी विश्वास को सार्थक करते हुए निर्जला एकादशी पर जगह-जगह मीठे पानी की छबीलें लगाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अराधना का भी विशेष महत्व है।
साथ ही एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक निर्जल (बिना पानी के) व्रत रखने का महत्व है। कहते हैं कि निर्जला एकादशी पर उपवा स रखकर आप पूरे वर्ष में आने वाली सभी 24 एकादशी का फल प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान श्रद्धालु निर्जला एकादशी का व्रत रखते हैं।
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