• जीवन की पहली जरूरत खुशी : गीतांजलि कंसल

Jind News(आज समाज) जींद। वुमेन ऐरा फाउंडेशन की अध्यक्ष एवं समाजसेवी गीतांजलि कंसल ने कहा कि जीवन की पहली जरूरत खुशी है। जब छात्राएं खुद को नई चीजों से अपडेट रखेंगी, तो न सिर्फ  उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि अपनी जिंदगी और करियर से जुड़े निर्णय भी बेहतर तरीके से ले सकेंगी। यह तभी होगा जब हम आंतरिक तौर पर खुश होंगे और हम में आत्मविश्वास होगा। ऐसे में सही फैसले लेने की क्षमता केवल अनुभव से नही बल्कि लगातार सीखने और कौशल विकसित करने से आएगी।

छात्राओं को जीवन में आत्मविश्वास से आगे बढऩे के लिए किया प्रेरित

वुमेन ऐरा फाउंडेशन की अध्यक्ष एवं समाजसेवी गीतांजलि कंसल शुक्रवार को माता चन्नन देवी आर्य कन्या गुरुकुल पिल्लूखेड़ा में आयोजित हैप्पीनेस स्किलस सेमिनार को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित कर रही थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरूकुल कमेटी उप प्रधान मास्टर आजाद सिंह कुंडू ने की। इस मौके पर प्रधानाचार्य ज्योति ने मुख्यअतिथियों का स्वागत किया और छात्राओं को जीवन में आत्मविश्वास से आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। वुमेन ऐरा फाउंडेशन की अध्यक्ष ने छात्राओं से सवाल-जवाब भी किए और उनके मन की बात को भी जाना। छात्राओं को संबोधित करते हुए गीतांजलि कंसल ने कहा कि छात्राएं अपने जीवन में कई तरीकों से खुश रह सकते हैं।

जैसे कि दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना, अपनी पसंद की गतिविधियों में भाग लेना, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद लेना और अपनी भावनाओं को व्यक्त करना। इसके अलावा सकारात्मक रहना, अपनी तुलना दूसरों से न कर अपनी उपलब्धियों के लिए खुद को पुरस्कृत करने से जो आत्म संतुष्टि मिलती है, वह हमें जीवन में सकारात्मक बनाए रखती है। गीतांजलि कंसल ने कहा कि छात्राएं जीवन में हमेशा सकारात्मक रहें।

जंक फूड से बचें और संतुलित आहार लें

जब भी आप कोई लक्ष्य हासिल करते हैं तो खुद को एक छोटा सा इनाम दें। जंक फूड से बचें ओर भरपूर और संतुलित आहार लें। जब कोई बात आपको परेशान करे तो किसी दोस्त या भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें। दूसरों की मदद करने या दयालुता दिखाने से आपको अच्छा महसूस होता है। अपनी भावनाओं और विचारों को एक डायरी में लिखने से आपको खुश रहने में मदद मिल सकती है। पढ़ाई और स्कूल को प्रबंधित करें।

काम को टालने की बजाय उसे समय पर पूरा करने की कोशिश करें। यदि आप किसी विषय में बोर हो रहे हैं, तो शिक्षकों से अलग-अलग असाइनमेंट मांगने की कोशिश करें। अपनी गलतियों से सीखें और उन्हें सुधारने के लिए फीडबैक का उपयोग करें। यदि आप बहुत दुखी महसूस करते हैं तो स्कूल अध्यापकों से बात करने में संकोच न करें। अपनी क्षमताओं को परखें और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करें। गुरूकुल कमेटी उप प्रधान मास्टर आजाद सिंह कुंडू ने कहा कि इस तरह के सेमीनार छात्राओं के लिए बेहत कारगर सिद्ध होते हैं।

व्यवहारिक कौशलों के साथ करे शिक्षण

क्योंकि उनमें सीखने, समझने की क्षमता बढ़ती है। प्रधानाचार्य ज्योति ने शिक्षकों को बताया कि छात्रों के व्यवहार से उनकी अभिव्यक्ति स्पष्ट होती है और उनके स्तर का भी ज्ञान होता है। अध्यापक को हैप्पी क्लासरूम में छात्रों को सामूहिक गतिविधियों और व्यवहारिक कौशलों के साथ शिक्षण करना चाहिए। कक्षा को खुशनुमा बनाने के लिए छात्रों को कहानी सुना कर और प्रश्नों के माध्यम से रुचिकर व लाभप्रद बनाया सकता है। कार्यक्रम के अंत में सभी मुख्यअतिथियों को सम्मानित किया गया।

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