• विकसित कृषि संकल्प अभियान का चौथा दिन किसानों ने सुझाए उपाय

(Jind News) जींद। विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत रविवार को कृषि वैज्ञानिकों ने विभिन्न गांवों में जाकर कृषि की आधुनिक तकनीकों के बारे में किसानों को जागरूक किया। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिडारा के प्रभारी डा. रामकरण गौड ने बताया कि कपास में गुलाबी सुंडी का नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। सबसे पहले किसानों को यह पता होना चाहिए की गुलाबी सुंडी का प्रकोप उसके खेत में है या नहीं, तभी जाकर सुंडी को काबू में किया जा सकता है।

60 दिन तक नीम बेस्ड प्रोडक्ट जैसे की नीमबीसीडीन या नीम सीडकर्नल एक्सट्रैक्ट का स्प्रे करना चाहिए

इसके लिए किसानों को अपने खेत में फैरामोन ट्रैप, दो ट्रैप प्रति एकड़ के हिसाब से लगाने चाहिए और उनमें तीन दिन और रात को गुलाबी सुंडी का वयस्क चैक करना चाहिए कि कितने प्रोड प्रति रात उसके अंदर ट्रैप हुए हैं। अगर प्रति रात छह से आठ प्रौड ट्रैप होते हैं तो हमारे को सुंडी के नियंत्रण के लिए कदम उठाना पड़ेगा। इसके लिए हम बिजाई से 0 से 60 दिन तक नीम बेस्ड प्रोडक्ट जैसे की नीमबीसीडीन या नीम सीडकर्नल एक्सट्रैक्ट का स्प्रे करना चाहिए।

किसानों को विकसित टेक्नोलॉजी के साथ चलना पड़ेगा। आजकल हर किसान भाई के पास मोबाइल फोन होता है वह उसमें अपने फसल की फोटो उतार कर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के व्हाट्सएप पर भी भेज सकते हैं और अपनी समस्या के बारे में पूछ सकते हैं। गांव झील, बडनपुर व सुंदरपुरा में डॉ . सुरेंद्र मित्तल ने कृषि विज्ञान केंद्रों व वहां पर प्रदान की जाने वाली जानकारियों के बारे में बताया।

फसल चक्र की महत्ता पर प्रकाश डाला

डॉ. राजेश ने मौसम से जुडी जानकारी प्रदान की। पशु चिकित्सक डॉ. नवीन ने पशुओं के रखरखाव की जानकारी दी। कृषि विशेषज्ञ डॉ. केशव ने फसल चक्र की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस दौरान यहां पर झील गांव के सरपंच प्रतिनिधि शमशेर, बडनपुर गांव के सरपंच प्रतिनिधि गगनदीप, सुन्दरपुर गांव के सरपंच प्रतिनिधि लखविन्द्र भी मौजूद रहे।  गांव गांगोली, मोरखी, भागखेड़ा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के शस्य वैज्ञानिक डॉ. संदीप सिहाग ने बताया कि धान उगाने की नई तकनीकों व उसमें खरपतवार नियंत्रण व होने वाली बीमारियों के प्रबंधन पर जोर दिया।

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिक डा. मगन सिंह ने विभिन्न प्रकार के चारे व खनिज पदार्थ के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह पशुओं को खिलाया जाने वाला भोजन है। पशुओं के स्वस्थ रहने और उत्पादकता के लिए चारे व खनिज पदार्थ आवश्यक है। चारा फसलों से पशुओं को पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे दूध और मांस का उत्पादन बढ़ता है। डॉ. पी बरनवाल ने पशुओं की देखभाल तथा दुग्ध उत्पादन बढाने बारे जानकारी दी।

इस दौरान मृदा वैज्ञानिक डॉ. धीरज पंघाल, इंजी रवि, पशु चिकित्सक डॉ राबिन, बागवानी से जितेंद्र, मत्स्य से मुस्कान ने अपने विभागों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी। इफको के नरेश द्वारा गांव मोरखी किसानों को ड्रोन से स्प्रे का प्रदर्शन करके दिखाया गया। कृषि विज्ञान केंद्र पांडु पिंडारा के विस्तार शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. पवन तथा डॉ. प्रीति मलिक, राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो डा. आरएस कटारिया, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल से डॉ. अजमेर सिंह कुंडू, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल से डॉ. मनोज कुमार यादव, एटीएम रविंद्र की टीम ने गांव भड़ताना, लुदाना एवं भंभेवा गांवों मे किसानों को विविध विषयों पर जानकारी देकर जागरूक किया।

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